US Election: ...तो क्या अबकी बार बैलेट की बजाए कानूनी बेंच से तय होगा अमेरिकी राष्ट्रपति?
ट्रंप अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में डाक मतों की गिनती के तरीकों को लेकर चुनौती दिए जाने की तैयारी कर रहे हैं.अगर 20 जनवरी से पहले फैसला नहीं आया तो एक संवैधानिक संकट भी खड़ा हो सकता है.
US Election: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का फैसला बैलेट नतीजों से ज्यादा अब कानूनी बेंच से निकलने की आशंका बढ़ती जा रही है. नतीजों के लिहाज से फिलहाल कुछ पीछे नजर आ रहे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मतदान गड़बड़ियों के आरोप उछालना तेज कर दिया है. बल्कि मामले को अदालत में ले जाने के संकेत भी दे दिए हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि पेंसिलवेनिया, विस्क़ॉन्सन, मिशिगन जैसी सब जगहों पर बाइडन( जो बाइडन) के वोट मिल रहे हैं. यह हमारे देश के लिए बहुत खराब है. इससे पहले कुछ अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि ऐसा क्यों होता है कि जब भी मेल इन बैलेट मिल रहे हैं तो वो इतना विध्वंसक हैं.
नतीजों को अदालत में चुनौती देने की तैयारी में ट्रंप
ट्रंप खेमे के सूत्रों को मुताबिक, चुनावी नतीजों को अदालत में चुनौती देने की तैयारी हो चुकी है. इसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में डाक मतों की गिनती के तरीकों को लेकर चुनौती दिए जाने की तैयारी है. ताकि देश की सर्वोच्च अदालत से आने वाला फैसला अन्य राज्यों पर भी लागू हो.
इन कवायदों की जानकारी रखने वाले सूत्रों के मुताबिक, चुनाव की तारीख खत्म होने के बाद अचानक से बड़ी संख्या में मतों की बरामदगी की रिपोर्ट आ रही हैं जो अपने आप में संदेह बढ़ाती हैं. इसकी जांच तो होनी ही चाहिए. साथ ही यह स्पष्ट होना चाहिए कि चुनाव खत्म होने के बाद किस तरह डाक मतों को शामिल किया जा सकता है. जाहिर है ट्रंप इसकी तैयारी काफी सोच समझकर कर रहे हैं.
6 जजों की नियुक्ति रिपब्लिकन पार्टी की सरकारों में हुई
बीते दिनों डेमोक्रेट खेमे के विरोध और जो बाइडन-कमला हैरिस की आलोचनाओं के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपने शासनकाल की तीसरी जज की नियुक्त करवाने में कामयाब रहे हैं. ताजा नियुक्त के बाद अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश समेत 6 जज ऐसे होंगे जिनकी नियुक्ति रिपब्लिकन पार्टी की सरकारों के राज में हुई है. हालांकि नियुक्ति की गरिमा का तकाजा है कि सभी जज निष्पक्ष हों. ध्यान रहे कि अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जज किसी जज की नियुक्ति जीवनकाल के लिए होती है, अगर वो इस्तीफा न दे या उसपर महाभियोग न सिद्ध हो.
बहरहाल, अगर पेंसिलवेनिया, नॉर्थ कैरोलाइना जैसे सूबों के नतीजों को लेकर ट्रंप ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तो मामले का पेंच उलझ जाएगा. दोनों तरफ के कानूनची भिड़ेंगे जिरह-बहस होंगी. ऐसे में सबसे बड़ा डर इस बात को लेकर भी है कि अगर नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 14 दिसंबर को होने वाली इलैक्टर्स की मीटिंग से पहले फैसला नहीं हुआ तो क्या होगा?
खड़ा हो सकता है संवैधानिक संकट
कानूनी लड़ाई लंबी खिंची या डाक मतों पर जांच बैठाई गई तो कहीं ऐसा न हो कि जनवरी के शुरुआत में नए राष्ट्रपति के लिए इलैक्टर्स के फैसले पर मुहर लगाने वाली सिनेट और हाऊस की बैठक का कैलेंडर गड़बड़ा जाए. वहीं अगर 20 जनवरी से पहले फैसला नहीं आया तो एक संवैधानिक संकट भी खड़ा हो सकता है क्योंकि यह तारीख अमेरिका में नए राष्ट्रपति के शपथ लेने का दिन होता है.
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