बगदाद: इराक की राजधानी बगदाद में स्थित यूएस अम्बेसी के पास रविवार को दो रॉकेट गिराए गए. इससे पहले शनिवार को भी रॉकेट के जरिए अमेरिकी दूतावास पर हमला किया गया था. हालांकि इस हमले में किसी के मारे जाने की कोई खबर नहीं है. इस हमले के बाद अमेरिका ने कहा था कि उसने ईरान में 52 ठिकानों की पहचान की है और अगर ईरान ने कोई हमला किया तो इसका अंजाम बहुत खतरनाक होगा.


जानकारी के मुताबिक ग्रीन जोन में दो मोर्टार और अमेरिकी एयरबेस पर दो रॉकेट दागे गए. ग्रीन जोन बगदाद का सबसे सुरक्षित इलाका समझा जाता है. इसी इलाके में अमेरिका का दूतावास भी है. विस्फोट के बाद इलाके को पुलिस ने घेर लिया था और चारों ओर सायरन की आवाजें सुनाई देने लगी थीं. बगदाद के उत्तर में बलाद एयरबेस है जिस पर दो रॉकेट दागे गए थे. इस एयरबेस में अमेरिकी सेनाएं रहती हैं.


बगदाद में अमेरिकी दूतावास के पास रॉकेट से हमला, ट्रंप बोले- ईरान के हर हमले का करारा जवाब देंगे


आपको बता दें कि अमेरिकी हवाई हमले में ईरान के कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई. इसके बाद ईरान और अमेरिका आमने-सामने खड़े दिखाई दे रहे हैं. इंटरनेट पर वर्ल्डवॉर-3 ट्रेंड कर रहा है और पूरी दुनिया के लोग चिंता कर रहे हैं. ईरान ने साफ कह दिया है कि वो बदला लेकर रहेगा और अमेरिका खतरा भांप कर खाड़ी देशों में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है. करीब 3500 सैनिक हाल ही में अमेरिका ने खाड़ी में भेजे हैं.


जयशंकर ने ईरानी विदेश मंत्री से बात की, तनाव को लेकर भारत की चिंता जाहिर की


ईरान की धमकी के बाद अमेरिका ने अपने नागरिकों को तुंरत बगदाद छोड़कर चले जाने को कहा है. अमेरिका और ईरान के बीच स्थिति तनावपूर्ण होने के बाद दुनिया के अन्य देश भी चौकन्ने हो गए हैं. भारत भी पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अपने ईरानी समकक्ष जवाद जरीफ से बात की और कहा कि भारत क्षेत्र में तनाव के बढ़ते स्तर को लेकर बेहद चिंतित है.


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी थी कि अमेरिका ने वहां 52 संभावित लक्ष्यों की पहचान की है और अगर तेहरान ने सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिये अमेरिका के खिलाफ कोई हमला किया तो वह उसे अब तक की सबसे बड़ी चोट पहुंचाएंगे. ट्रंप ने ट्वीट किया कि 52 अंक उन लोगों की संख्या को दर्शाता है, जिन्हें एक साल से अधिक समय तक तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 1979 में बंधक बनाकर रखा गया था. इससे पहले ईरान ने सुलेमानी की मौत का बदला लेने का संकल्प व्यक्त किया था.