Sudan Crisis: अमेरिका सहित दुनियाभर ने जताई सूडान में तख्तापलट पर चिंता, कहा- लोकतांत्रिक महत्व पर पड़ रहा असर
Sudan Political Crisis: सुडान में राजनीतिक धड़ों के बीच झगड़े के चलते सेना ने हस्तझेप किया है. वहीं अमेरिका सहित दुनियाभर के देशों ने सूडान में हुए तख्तापलट पर चिंता जताई है.
काहिराः सूडान में सैन्य तख्तापलट पर अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात सहित दुनियाभर के देशों ने चिंता जताई है. अमेरिका ने कहा कि सूडान में तख्तापलट के कदम से जुड़े नेता देश के लोकतांत्रिक परिवर्तन के महत्व को कम कर रहे हैं और उन्हें अपने रुख में नरमी लानी चाहिए.
सूडान में तख्तापलट पर अमेरिका ने जताई चिंता
सूडान में अमेरिकी दूतावास ने सोमवार को ट्विटर पर कहा कि सूडान के प्रमुख जनरल द्वारा आपातकाल की स्थिति घोषित करना, वहीं सैन्य और असैन्य नेताओं से जुड़े सत्तारूढ़ निकाय को भंग करना "गंभीर चिंता" का विषय है. दूतावास ने कहा कि सूडान में परिवर्तन को बाधित कर रहे पक्ष अपने रुख में नरमी लायें और असैन्य नेतृत्व वाली परिवर्ती सरकार को क्रांति के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य को जारी रखने दें.
अमेरिकी दूतावास की यह टिप्पणी बड़े पैमाने पर हुए उस विरोध का संदर्भ है, जिसने 2019 में लंबे समय से सत्ता पर काबिज तानाशाह उमर अल-बशीर को पद से हटाने और देश को लोकतांत्रिक चुनावों की ओर ले जाने के लिए एक सत्तारूढ़ परिषद की स्थापना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
हॉर्न ऑफ अफ्रीका ने भी जताई सूडान में तख्तापलट पर चिंता
इससे पहले, ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ के लिए विशेष अमेरिकी दूत जेफरी फेल्टमैन ने सोमवार को कहा कि अमेरिका घटनाक्रम को लेकर "काफी चिंतित" है और सैन्य तख्तापलट से सूडान को मिल रही अमेरिकी सहायता बाधित हो सकती है. ‘हॉर्न ऑफ अफ्रीका’ में जिबूती, इरिट्रिया, इथियोपिया और सोमालिया शामिल हैं.
यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने सोमवार को ट्वीट किया कि सूडान में सैन्य बलों द्वारा अंतरिम प्रधानमंत्री सहित कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को हिरासत में लेने की खबर ‘‘अत्यधिक चिंतित’’ करने वाली है और वह उत्तर-पूर्व अफ्रीकी राष्ट्र में घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं.
UAE ने कहा शांति का मार्ग अपनाए सुडान
संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने कहा है कि सूडान में शांति एवं संयम का मार्ग अपनाया जाना चाहिए. ‘यूएस ब्यूरो ऑफ अफ्रीकन अफेयर्स’ ने ट्विटर पर लिखा, ‘‘जैसा हमने बार-बार कहा है, परिवर्ती सरकार में बलपूर्वक किसी भी परिवर्तन से अमेरिकी सहायता पर असर पड़ सकता है.’’ फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने भी सूडान के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने ट्वीट किया, "फ्रांस तख्तापलट की कोशिश की कड़े शब्दों में निंदा करता है."
वहीं, नॉर्वे शरणार्थी परिषद ने सूडान के शासकों से पूर्वी अफ्रीकी देश में सैन्य कब्जे के बीच नागरिकों की रक्षा करने की अपील की और उन लाखों लोगों की मदद करने के लिए अबाध मानवीय पहुंच का अनुरोध किया, जो वर्षों तक चले युद्ध की वजह से विस्थापित हो गए हैं.
चीन ने कहा बातचीत से सुलझाए आपसी मतभेद
चीन ने सूडान के घटनाक्रम पर देश के विभिन्न गुटों से आपस में संवाद करने का आग्रह किया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन चाहता है कि सूडान में सभी पक्ष "अपने मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाएं ताकि देश में शांति और स्थिरता कायम रखी जा सके."
सऊदी अरब स्थित इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी सूडान के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है. सरकार संचालित सऊदी प्रेस एजेंसी को दिए गए एक बयान में संगठन ने कहा कि उसने सूडानी नेताओं से संवैधानिक दस्तावेज का पालन करने को कहा है. जर्मनी ने सूडान में सैन्य तख्तापलट के कदम को तत्काल रोकने की मांग की है. देश के विदेश मंत्री हेइको मास ने पूर्वी अफ्रीकी देश में सैन्य कब्जे के प्रयास की निंदा की और समाचार को "निराशाजनक" कहा.
संयुक्त राष्ट्र मिशन ने भी की निंदा
सूडान से संबंधित संयुक्त राष्ट्र मिशन ने भी संबंधित घटनाक्रम की निंदा की है. अरब लीग ने भी सूडान के घटनाक्रम पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. इस 22-सदस्यीय समूह के महासचिव अहमद अबुल घीत ने देश के सभी दलों से अगस्त 2019 में हस्ताक्षरित संवैधानिक घोषणा का "पूर्ण पालन" करने का आग्रह किया.
सूडान में हुए संबंधित घटनाक्रम में देश के प्रमुख जनरल ने सोमवार को देश में आपातकाल की घोषणा की. इससे कुछ घंटे पहले उनकी सेना ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को तख्तापलट की कवायद में गिरफ्तार कर लिया और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं.
सुडान में सेना ने किया हस्तक्षेप
जनरल अब्दुल फतह बुरहान ने टेलीविजन पर घोषणा की कि देश की सत्तारूढ़ स्वायत्तशासी परिषद् और प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक के नेतृत्व वाली सरकार को भंग किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक धड़ों के बीच झगड़े के चलते सेना को हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य होना पड़ा, लेकिन उन्होंने देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पूरा करने का संकल्प जताया और कहा कि नई सरकार सूडान में चुनाव कराएगी.
सत्ता पर सेना के कब्जे के विरोध में हजारों लोग राजधानी खार्तूम और इसके पास के शहर ओमडर्मन में सड़कों पर उतरे. पूर्व निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से हटाए जाने के बाद, दो साल से अधिक समय से जारी लोकतंत्रिक सरकार बनाने के प्रयासों के बीच यह खबर सामने आई है.
यह घटनाक्रम तब हुआ है जब बुरहान सत्तारूढ़ अस्थायी परिषद् का नेतृत्व असैन्य सरकार को सौंपने वाले थे. अल-बशीर के सत्ता से हटने के बाद से स्वायत्तशासी परिषद् सरकार चला रही थी जिसमें सैन्य और असैन्य दोनों क्षेत्रों के नेता शामिल थे. उनके बीच सूडान में कई मुद्दों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने की गति पर काफी मतभेद थे.
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