Tulsi Gabbard quits Democratic Party: पहली हिंदू-अमेरिकी सांसद तुलसी गेबार्ड ने राष्ट्रपति जो बाइडेन वाली डेमोक्रेटिक पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. तुलसी गेवार्ड ने 2020 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन भी दाखिल किया था लेकिन बाइडेन के इलेक्शन में उतरने पर उन्होंने उनका समर्थन कर दिया था. बताया जाता है कि गेबार्ड के भारत में बीजेपी-आरएसएस के साथ करीबी रिश्ते हैं.


सोशल मीडिया पर करीब आधा घंटे के अपने एक वीडियो संदेश के जरिये तुलसी गेबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए. इसी के साथ उन्होंने पार्टी छोड़ने की घोषणा की. उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर देश के हर मुद्दे को नस्लभेदी बनाने का आरोप लगाया. 


क्या कहा तुलसी गेबार्ड ने?


वीडियो संदेश में तुलसी गेबार्ड ने कहा, ''मैं आज की डेमोक्रेटिक पार्टी में नहीं रह सकती हूं जो अब पूरी तरह से कायरतापूर्ण मुहिम चलाने वाले और युद्ध को उकसाने वाले अभिजात वर्ग की साजिश के नियंत्रण में है,  जो हर मुद्दे पर नस्लभेद कर हमें बांटते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लवाद को भड़काते हैं, जो हमारी ईश्वर प्रदत्त अजादी को कमजोर करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.''






तुलसी गेबार्ड करीब 20 वर्षों से डेमोक्रेटिक पार्टी की हिस्सा थीं और हवाई से चार बार कांग्रेस की सदस्य रहीं. उन्होंने अमेरिकी पुलिस पर भी अपराधियों का बचाव करने का आरोप लगाया. गेबार्ड ने कहा कि डेमोक्रेटिक पार्टी आस्थावान और आध्यात्मिक लोगों के प्रति शत्रुतापूर्ण भाव रखती है.


गेबार्ड ने डेमोक्रेट्स पर ये आरोप भी लगाए 


गेबार्ड ने पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाया कि वे अपने राजनीतिक विरोधियों को पीछे धकेलने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा को हथियार बना रहे हैं और सबसे बढ़कर वे अमेरिका को परमाणु युद्ध के करीब खींच रहे हैं. हालांकि, उन्होंने उनकी विचारधारा का समर्थन करने वाले पार्टी नेताओं से भी इस्तीफा देने का आह्वान किया.


डेमोक्रेट्स के गेबार्ड पर आरोप


रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई डेमोक्रेट्स ने गेबार्ड पर रूसी कठपुतली होने और कई मुद्दों पर उनके विचार डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के साथ ज्यादा मेल खाने का आरोप लगाया है. अमेरिकी कांग्रेस में भारतीय और हिंदू मूल के चार सांसद हैं लेकिन गेबार्ड को पहली हिंदू-अमेरिकी हाउस प्रतिनिधि के तौर पर बताया गया क्योंकि उनके अमेरिकी माता-पिता गौड़ीय वैष्णववाद का पालन करते हैं.


गेबार्ड भगवद्गीता को एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में मानती हैं और 2013 में इस ग्रंथ का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने शपथ ली थी. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर गेबार्ड ने यह ग्रंथ उन्हें उपहार में दिया था.


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