Emmanuel Macron On US China: अमेरिकी खेमे में गिना जाने वाला यूरोपीय देश फ्रांस (France) इन दिनों एक 'स्‍वतंत्र कूटनीति' का दम भर रहा है. फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) का कहना है कि यूरोप (Europe) को अमेरिका (America) पर अपनी निर्भरता कम कर देनी चाहिए. मैक्रों ने अमेरिका को झिड़कते हुए यहां तक कह दिया कि हम अमेरिका की जागीर नहीं हैं, हमें अपने फैसले लेने का हक है.


इसके बाद फ्रांस की इमैनुएल सरकार ने अमेरिका को एक बड़ा झटका, चीनी पॉलिसी का सपोर्ट करके भी दिया है. फ्रांसिसी राष्ट्रपति ने कहा कि हम चीन की वन चाइना पॉलिसी के साथ हैं. हालांकि, उन्‍होंने चीन-ताइवान के टकराव को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्‍त किए जाने पर भी जोर दिया. उन्‍होंने कहा, "फ्रांस ताइवान में यथास्थित को बरकरार रखने के पक्ष में है, और चाहता है कि समस्या का समाधान शांतिपूर्ण तरह से निकाला जाए."


हाल ही चीन की यात्रा पर गए थे फ्रांसिसी राष्ट्रपति


बता दें कि फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कुछ दिनों पहले ही चीन की यात्रा पर गए थे, वहां शी जिनपिंग ने उनका भव्‍य स्‍वागत कराया था. दोनों देशों में कई मसलों पर बातचीत हुई थी. उसके बाद से ही फ्रांस के राष्‍ट्रपति के सुर बदले-बदले से आ रहे हैं. बुधवार को इमैनुअल मैक्रों नीदरलैंड्स दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि वो चीन दौरे के वक्त दिए गए अपने बयान पर कायम हैं. मैक्रों ने कहा- अमेरिका के सहयोगी होने का मतलब हमें उनका जागीरदार होना नहीं है.


'हम यूक्रेन में भी समस्या का समाधान नहीं कर सकते'


चीन से लौटने पर मैक्रों ने कहा था कि हमें ताइवान को लेकर चीन और अमेरिका के बीच टकराव में घसीटे जाने से बचना चाहिए. उन्‍होंने पॉलिटिको को दिए एक बयान में कहा कि यूरोप के लीडर्स को ये सोचना चाहिए कि ताइवान से जुड़े विवाद को और बढ़ाना हमारे हित में नहीं है. हम यूक्रेन में भी समस्या का समाधान नहीं कर सकते.


फ्रेंच राष्ट्रपति की ऐसी तल्ख टिप्‍पणियों पर अभी अमेरिका की प्रतिक्रिया नहीं आई है. ग्‍लोबल एक्‍सपर्ट्स मान रहे हैं कि अगर फ्रांस की मैक्रों सरकार का ऐसा ही रुख रहा तो अमेरिका नाराज हो सकता है, जिसका भविष्‍य में अच्‍छा असर नहीं होगा. 


यह भी पढ़ें: Iran Saudi Arabia: दुश्मनी भूलकर बरसों बाद अब ऐसे करीब आ रहे ये दो शिया-सुन्नी मुल्क, चीन की तारीफ में पढ़े कसीदे