Gun Culture in America: दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में घर-घर इतनी बदूंकें हो गई हैं कि आए रोज कहीं न कहीं गोलीबारी होती है और लोगों की जान चली जाती है. टेक्सास में 20 साल के बंदूकधारी हमलावर ने एक मॉल में ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, उसकी फायरिंग में 9 लोगों की मौत हो गई, और 7 अन्य लोग जख्मी हो गए. जिनमें कई लड़कियां भी शामिल थीं. इसी तरह अमेरिकी स्टेट कैलिफोर्निया में गोलीबारी की एक घटना में 17 साल की लड़की की मौत हो गई और पांच अन्य घायल हो गए. ऐसी घटनाएं सामने आने पर सवाल उठते हैं कि अमेरिका में 'गन कल्चर' आखिर क्यों बढ़ रहा है. वहां ऐसे कौन से नियम हैं, जिनके कारण गोलीबारी की घटनाएं थम नहीं रही. आइए समझने की कोशिश करते हैं...


इस देश में लोग 33 करोड़, लेकिन बंदूकें 40 करोड़
अमेरिका ऐसा देश है, जहां बंदूक रखना लोगों का संवैधानिक अधिकार है. इस देश में सैकड़ों ऐसे स्टोर, शॉपिंग आउटलेट और छोटी-छोटी दुकानें हैं, जहां बंदूकें बेची जाती हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि पूरे अमेरिका में हर वीकेंड पर बंदूकों की प्रदर्शनी लगती है. वहां बंदूकें वॉलमॉर्ट जैसी बड़ी कंपनियों के स्टोर से लेकर छोटी दुकानों पर बिकती हैं. लेकिन यही कल्चर अब वहां लोगों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है..कोई सिरफरा कहीं भी फायरिंग शुरू कर देता है और कई जिंदगियां खत्म हो जाती हैं. यह 'गन कल्चर' पिछले 50 सालों में 15 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार है. अमेरिकन एबीसीन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, इस देश में लोग 33 करोड़, लेकिन बंदूकें लगभग 40 करोड़ हैं.





1791 में लोगों को हथियार का अधिकार दिया गया
अमेरिका में 'गन कल्चर' की शुरूआत लोगों की सुरक्षा के नाम पर हुई थी. इसका इतिहास 230 साल से भी ज्यादा पुराना है. जिस दौर में यहां 'गन कल्चर' की शुरुआत तब हुई थी, तब अंग्रेजों का शासन था. उस समय वहां स्थायी सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा की चिंता होती थी. 1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत लोगों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया. अमेरिका का यह कानून आज भी जारी है. जिसे 'यूएस गन लॉ' कहा जाता है. असल में उसका नाम द गन कंट्रोल एक्ट (GCA) है. इस एक्ट के मुताबिक, 18 साल या उससे अधिक उम्र का कोई भी अमेरिकी नागरिक बंदूक खरीद सकता है. और, चला भी सकता है.


अमेरिका में बंदूकों वाला यह है नियम
अमेरिका का गन कंट्रोल एक्ट (GCA) कहता है कि देश में राइफल या कोई भी छोटा हथियार खरीदने के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अन्य हथियारों को खरीदने की न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए. यहां बंदूक खरीदते समय लोगों को एक फॉर्म में अपना नाम, पता, जन्मतिथि और नागरिकता की जानकारी देनी होती है. वहीं, बंदूक बेचने वाली शॉप या संस्था उस खरीदार की जानकारी अमेरिकी खुफिया एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन, यानी FBI से साझा करती हैं, जो बंदूक खरीदार के बैकग्राउंड की जांच करती है. FBI की वेबसाइट पर दी गई जानकारी का विश्लेषण किया जाए तो यहां के गन कल्चर के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है.




51 साल में 15 लाख लोगों ने गंवाई जान
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 'गन कल्चर' की वजह से 2002 से 2011 के बीच हर साल करीब 11 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में अमेरिका में बंदूक से हर 1 लाख लोगों में करीब 4 लोगों की हत्याएं हुईं. 2019 में ही यहां 63 हजार लाइसेंस्ड गन डीलर थे, जिन्होंने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रुपए की बंदूकें बेची थीं. 2020 में यहां पर 45000 से ज्यादा अमेरिकियों की मौत बंदूक की गोली से हुई. बीते 51 साल में अमेरिका में 15 लाख लोगों ने जान गंवाई है.


9/11 हमले के बाद लोगों ने ज्यादा खरीदे हथियार
सितंबर 2001 में अमेरिका में आतंकी संगठन अलकायदा ने बड़ा हमला करवाया था. उसमें लगभग 3 हजार लोगों की जानें गईं, उसके बाद लोगों में आतंकियों का खौफ व्याप्त हो गया था. माना जाता है कि उस आतंकी हमले के बाद से लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक पास रखना ज्यादा जरूरी समझा. मगर, आज यही गन कल्चर अमेरिकी समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. 9/11 के बाद यहां गोलीबारी की 400 से ज्यादा घटनाएं हुई, जिनमें स्कूल ज्यादा निशाना बने.


..तो इसलिए खत्म नहीं हो पा रहा गन कल्चर?
अमेरिका में हर साल हजारों लोग गोलीबारी में मारे जा रहे हैं, फिर भी वहां की सरकार गन कल्चर को नहीं खत्म कर पा रही. इसकी दो वजह सामने आती हैं. पहली- कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं. दूसरी वजह हैं- गन बनाने वाली कंपनियां, यानी आर्म लॉबी भी इस कल्चर के बने रहने की प्रमुख वजह हैं. आपको बता दें कि यहां पर, गन इंडस्ट्री का हर साल 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का करोबार है, और इससे लाखों लोग जुड़े हुए हैं.


यह भी पढ़ें: 'पाकिस्तान की पूरी दुनिया में बेइज्जती हो रही है', भारत दौरे पर घिरे बिलावल तो इमरान ने लिया आड़े हाथ- क्या फायदा हुआ?