यूक्रेन-रूस युद्ध के हमले का आज 9वां दिन है. यूक्रेन पर हमले का अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश इसका विरोध कर रहे हैं. इस बीच अमेरिका रूस पर कई तरह के प्रतिंबध लगा रहा है. इसी पर एक कदम आगे बढ़ते हुये राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने रूस के दिग्गज कारोबारियों और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निकट सहयोगियों पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. 


पुतिन के करीबियों पर की गई है कार्रवाई


यह कार्रवाई यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद उसे अलग थलग करने के लिए लगाए गए व्यापक प्रतिबंधों के तहत की गई है. इन प्रतिबंधों के दायरे में पुतिन के प्रेस सचिव दमित्री पेस्कोव और एलीशर बुरहानोविच उस्मानोव आए हैं, जो रूस के धनाढ्यों में शामिल हैं और पुतिन के करीबी सहयोगी हैं. अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि वह रूस के 19 व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों तथा निकट सहयोगियों पर वीजा प्रतिबंध भी लगा रहा है.


पुतिन के प्रभाव को कम करना है लक्ष्य


बाइडेन ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस तथा मंत्रिमंडल के साथ बैठक की शुरुआत में कहा कि यह लक्ष्य पुतिन और रूस के प्रभाव को कम करना है और अपने सहयोगियों पर रूस के कारण हो रहे नुकसान को कम करना है. व्हाइट हाउस का मानना है कि इन प्रतिबंधो के कारण रूस के कुलीन वर्ग के लोग और उनके परिजन अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से कट जाएंगे और उनकी अमेरिकी संपत्तियों के इस्तेमाल पर रोक लग जाएगी.


आखिर क्या होते हैं प्रतिबंध?


यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमलों का जवाब देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया देने का सबसे प्रमुख तरीका प्रतिबंधों को पारित करना है. प्रतिबंध ऐसे कठोर कदम हैं, जो देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर लागू होता हैं. ये आमतौर पर सैन्य प्रकृति के नहीं होते और एक देश द्वारा दूसरे देश के खिलाफ (एकतरफा प्रतिबंध) या संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन (सामूहिक प्रतिबंध) की ओर से लगाए जाते हैं. ये प्रतिबंध समग्र रूप से या व्यापार को निशाना बनाकर लगाए जाते हैं.


क्या प्रतिबंधों का पड़ेगा कोई अर्थपूर्ण प्रभाव?


अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन लघुकाल में इन प्रतिबंधों का कोई प्रभाव संभवत: नहीं होगा. जो एकतरफा और सामूहिक प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे व्यापक हैं. इन्हें तेजी से लागू किया गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई लावरोव को व्यक्तिगत रूप से लक्षित करना अभूतपूर्व है, लेकिन इन प्रतिबंधों को लागू करने में कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं.


उदाहरण के तौर पर स्विट्जरलैंड ने यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों को समर्थन दिया है, लेकिन यूरोपीय संघ, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की सूची में शामिल व्यक्तियों की संपत्ति फ्रीज करने संबंधी प्रतिबंध लागू करने से वह कतरा रहा है. ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के एक विश्लेषण के अनुसार, चिंता का एक विषय यह भी है कि रूसी कंपनियां क्रिप्टोकरंसी उपकरणों का रुख करके प्रतिबंधों से बच सकती हैं.


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