वॉशिंगटन: अमेरिका में 130 भारतीय छात्र मुश्किल में फंसे हुए हैं. इनके ऊपर काम पाने के लिए फर्जी यूनिवर्सिटी द्वार प्रमाणिकता हासिल करने के आरोप हैं. इन्हें अमेरिका के कई राज्यों से गिरफ्तार किया गया है. इस मामले में अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप प्रसाशन से गुहार लगाई है. उन्होंने ट्रंप से इन छात्रों के साथ मानवीय व्यवहार करने की गुहार लगाई है. इसके लिए दोनों देशों के बीच मज़बूत रिश्तों का हवाला दिया गया है. ये भी कहा गया है कि ये ऐतिहासिक रिश्ता शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी लंबे समय से बना हुआ है.


ये अपील भारतीय दूतावस द्वारा इन छात्रों से संपर्क साधे जाने के बीच की गई है. ये संपर्क ऐसी रिपोर्ट्स के सामने आने के बीच साधा गया है जिनमें कहा गया है कि इन छात्रों को खाने की समस्या के अलावा अन्य तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.  डीएचएस स्टिंग ऑपरेशन के इन पीड़ितों में कम से कम सात महिला छात्र हैं. ये छात्र देश भर के 36 कैद खानों में बंद हैं. भारत ने इन सबसे संपर्क साध लिया है.


कैलिफोर्निया में कैद इनमें से कुछ छात्रों को बेल दे दी गई है. लेकिन उन्हें ट्रैकिंग डिवाइस के सहारे मॉनिटर किया जा रहा है. अटलांटा के एक वकील फनी बोब्बा ने कहा ने कहा, "इनमें से कईयों को बेल लेने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. इन्हें बेल तभी मिल सकती है जब कोर्ट में सुनवाई की कोई तारीख़ तय हो जाए."


भारतीय छात्रों पर अमेरिका में शिकंजा
अमेरिका में संघीय अधिकारियों ने कई छापे मार कर 130 भारतीय या भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक को गिरफ्तार किया है. ये लोग मेट्रो डेट्रॉइट इलाके के एक कथित फर्जी यूनिवर्सिटी में छात्र के रूप में रजिस्टर्ड थे और देश भर में काम कर रहे थे. छात्रों का प्रत्यर्पण यानी उन्हें डिपोर्ट किया जा सकता है. अमेरिकी इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) विभाग ने ये छापे कोलंबस, ह्यूस्टन, अटलांटा, सेंट लुईस, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी आदि शहरों में मारे थे.


मिशिगन स्थित फार्मिंगटन यूनिवर्सिटी द्वारा अधिकृत पाठ्यक्रम व्यावहारिक प्रशिक्षण (सीपीटी) डे-1 के छात्रों के काम करने की जगहों पर ये छापेमारी की गई थी. सीपीटी अमेरिका में विदेशी (एफ-1) छात्रों को रोजगार के लिये दिया जाने वाला विकल्प है. कुछ यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों को ये विकल्प मुहैया कराते हैं.


हिरासत में लिए गए लोग या तो भारतीय नागरिक हैं या भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं. इन सभी की उम्र 30 साल के आसपास है. आईसीई ने एक बयान में बताया कि इनमें से छह को डेट्रॉइट इलाके से जबकि अन्य दो को वर्जीनिया और फ्लोरिडा से हिरासत में लिया है. विशेष एजेंट चार्ज फ्रांसिस ने बताया कि इन संदिग्धों ने सैकड़ों विदेशी नागरिकों को छात्र के रूप में दिखाकर उन्हें गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रहने में मदद की जबकि ज्यादातर लोग छात्र नहीं थे.


ये भी देखें


घंटी बजाओ: सांसद-विधायक को पेंशन फुल,सरकारी कर्मचारियों का भविष्य गुल ?