अमेरिका ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले को मध्य पूर्व में चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दरअसलस, अमेरिका ने यूएई को रक्षा साझेदार घोषित किया है. इस फैसले के बाद यूएई को अमेरिका से बेहतर और उन्नत हथियार और उनकी तकनीक आसानी से मिल सकेगी. अभी तक अमेरिका ने भारत को ही यह दर्जा दिया था.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नायहान की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के बाद इस फैसले का ऐलान किया गया.
अमेरिका का यह फैसला मध्य पूर्व में चीन की पकड़ को कमजोर करने के लिए कूटनीति के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, चीन ने पिछले कुछ सालों में यूएई और सऊदी अरब समेत तमाम देशों से अपने मजबूत रिश्ते बनाए हैं. उधर, अमेरिका लेबनान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के चलते मिडिल ईस्ट में और तनाव बढ़ाने के पक्ष में नहीं है. यही वजह है कि वह यूएई को साधने में जुट गया है.
समझौते पर क्या बोला अमेरिका?
बाइडेन और मोहम्मद बिन जायद की मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस ने बयान में कहा कि यह कदम अमेरिका, यूएई और भारत की सेनाओं के बीच संयुक्तभ्यास, संबंध विकसित करने की इजाजत देगा.
भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे पर भी हुई चर्चा
जो बाइडन और मोहम्मद बिन जायद ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) की प्रगति को लेकर भी चर्चा की. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को 2023 में नई दिल्ली में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं के साथ मिलकर पेश किया गया था. यह गलियारा पूरा होने पर यूनान के जरिए यूरोप को जोड़गा. भारत को संयुक्त अरब अमीरात(यूएई), सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल से जहाज और रेल संपर्क प्रदान करेगा.
दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, व्हाइट हाउस में सोमवार को आयोजित बैठक में बाइडन और जायद ने पुष्टि की कि यह गलियारा आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगा, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगा और एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया के परिवर्तनकारी एकीकरण को सक्षम बनाएगा.