वॉशिंगटन: म्यांमार में तख्तापलट हो गया है. सेना ने तख्तापलट कर एक साल के लिए आपातकाल लगा दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सेना द्वारा किए गए तख्तापलट को लोकतंत्र की ओर बढ़ते कदम पर सीधा हमला करार दिया है. बाइडेन ने म्यांमार पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को हिरासत लेने के कदम की अमेरिका ने आलोचना की है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने वैश्विक समुदाय का भी आह्वान किया कि वह एक स्वर में म्यामांर की सेना पर दबाव डाले.


बाइडेन ने कहा, "म्यामांर की सेना द्वारा तख्तापलट, आंग सान सू ची व अन्य प्राधिकारियों को हिरासत में लिया जाना और राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा देश में सत्ता के लोकतंत्रिक हस्तांतरण पर सीधा हमला है. लोकतंत्र में सेना को जनता की इच्छा को दरकिनार नहीं करना चाहिए. लगभग एक दशक से बर्मा के लोग चुनाव कराने, लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने और शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण को लेकर लगातार काम कर रहे हैं. इस प्रगति का सम्मान किया जाना चाहिए."


म्यांमार में सेना ने अपने हाथ में ली कमान
म्यांमार में हाल ही में चुनाव हुए थे, जिसे सेना ने फर्जी बताया है और इसके बाद सैनिक विद्रोह की आशंकाएं बढ़ गई थी. आंग सान सू ची, राष्ट्रपति विन मिंत और कई अन्य नेताओं को सोमवार तड़के हिरासत में ले लिया गया. इस तख्तापलट के बाद सेना ने देश का नियंत्रण एक साल के लिए अपने हाथों में ले लिया है. सेना ने जनरल को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है. नवंबर 2020 में आम चुनावों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच गतिरोध बना हुआ है.


सेना का कहना है कि 8 नवंबर 2020 को जो आम चुनाव हुए थे वह फर्जी थे. इस चुनाव में सू ची की एनएलडी पार्टी को संसद में 83 प्रतिशत सीटें मिली थीं जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त थीं. सेना ने इस चुनाव को फर्जी बताते हुए देश की सर्वोच्च अदालत में राष्ट्रपति और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी. हालांकि चुनाव आयोग उनके आरोपों को सिरे से नकार दिया था. इस कथित फर्जीवाड़े के बाद सेना ने हाल ही में कार्रवाई की धमकी दी थी. इसके बाद से ही तख्ता पलट की आशंकाएं बढ़ गई थीं.


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