US Mission in Kabul Ends: अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकी सैनिक की फोटो, 20 साल का सैन्य अभियान खत्म
अमेरिका ने अफगानिस्तान में अपनी राजनयिक उपस्थिति को भी खत्म कर दिया और वह कतर में शिफ्ट हो गया है.
वॉशिंगटन: अमेरिका ने तय समय से एक दिन पहले ही अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को पूरी तरह निकाल लिया है. 20 साल बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी हो गई है. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने अफगानिस्तान छोड़ने वाले आखिरी अमेरिकी सैनिक की फोटो ट्वीट कर ये जानकारी दी है. रिपोर्ट के अनुसार, 30 अगस्त की देर रात करीब एक बजे आखिरी अमेरिकी विमान ने उड़ान भरी.
पेंटागन ने ट्वीट में लिखा, "अफगानिस्तान छोड़ने वाला आखिरी अमेरिकी सैनिक- मेजर जनरल क्रिस डोनह्यू हैं, जो 30 अगस्त की रात सी-17 विमान में सवार हुए. ये काबुल में अमेरिकी मिशन के अंत का प्रतीक है." इसके साथ ही यूएस सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी ने अमेरिकी सेना की वापसी को पूरा करने की घोषणा की है. आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर सकते हैं.
अफगानिस्तान से सैन्य निकासी पूरी होने की घोषणा के साथ ही जनरल केनेथ एफ मैकेंजी कहा, “जबकि सैन्य निकासी पूरी हो गई है, अतिरिक्त अमेरिकी नागरिकों और अफगानों को सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक मिशन जारी है.” अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, “अब अफगानिस्तान में हमारी 20 साल की सैन्य उपस्थिति समाप्त हो गई है. मैं अपने कमांडरों को अफगानिस्तान से खतरनाक निकासी के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. जैसा कि 31 अगस्त सुबह का समय निर्धारित किया गया था.” अमेरिका ने अपने सैनिकों को पूरी तरह निकालने के लिए 31 अगस्त तक की समयसीमा तय की थी.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पारित किया
वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने भारत की मौजूदा अध्यक्षता में सोमवार को अफगानिस्तान के हालात पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मांग की गई है कि युद्ध प्रभावित देश का इस्तेमाल किसी देश को डराने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए नहीं किया जाए.
इस प्रस्ताव को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने पेश किया. परिषद के 13 सदस्य देशों द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में मत दिये जाने के बाद इसे पारित कर दिया गया, जबकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव में मांग की गई है कि अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या किसी देश पर हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने के लिए न किया जाए.
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