वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने येरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे दी है. अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरुशलम शिफ्ट करने का आदेश दिया गया है. डॉनल्ड ट्रंप के इस एलान के बाद ब्रिटेन, जर्मनी समेत अरब जगत के नेताओं ने विरोध जताया है.

ट्रंप ने चुनावों के दौरान किया था वादा

डॉनल्ड ट्रंप ने एलान किया, ‘’हम अमेरिकी राजदूत को जेरूसलेम में पुर्नस्थापित करने की घोषणा करते हैं और जेरूसलेम को इजरायल की राजधानी घोषित करते हैं.’’ बता दें कि डॉनल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी वादे में येरुसलेम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने का वादा किया था.

यूरोप और खाड़ी देशों में मची हलचल

डॉनल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद यूरोप और खाड़ी देशों में हलचल मच गई है. आठ देशों ने तत्काल बैठक बुलाई है. जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल और ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे ने इस फैसले का विरोध किया है.

क्या है येरुसलेम की मान्यता?

येरुसलेम धार्मिक तौर पर यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों ही धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यहां स्थित अल अक्सा मस्जिद को मुसलमान बेहद पवित्र मानते हैं और ईसाईयों की मान्यता है कि येरुसलेम में ही ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. यहां मौजूद टेंपल माउंट यहूदियों के लिए पवित्र जगह है. हांलाकि येरुसलेम को फिलिस्तीन भी अपने भविष्य के राष्ट्र की राजधानी बताता है.

डॉनल्ड ट्रंप इस फैसले को फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संबंधों को सुधारने का एक प्रयास बता रहे हैं लेकिन कई देश इस फैसले से नाराज हैं.