वाशिंगटन: अमेरिका ने चीन को ह्यूस्टन में अपना वाणिज्य दूतावास बंद करने का आदेश दिया है जिससे दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव बढ़ गया है. देश में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन के खिलाफ कड़े कदम उठाने के सिलसिले में यह नया कदम है.चीन ने बुधवार को इस आदेश की निंदा करते हुए इसे अपमानजनक बताया और कहा कि अगर इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा और अमेरिका को इसके गंभीर नतीजे भुगतने पड़ेंगे.


दूतावास बंद करने से तनाव बढ़ा
अमेरिका में चीन के छह वाणिज्य दूतावासों में से एक को बंद करने से तनाव बढ़ गया है. दोनों देशों के बीच न केवल कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर बल्कि व्यापार, मानवाधिकारों, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को लेकर भी तनाव चल रहा है.


चीनी अधिकारियों, छात्रों और शोधकर्ताओं के खिलाफ ट्रंप प्रशासन के पहले उठाए गए कदमों में यात्रा प्रतिबंध, पंजीकरण आवश्यकताएं और अमेरिका में चीनी नागरिकों की मौजूदगी कम करने की मंशा वाले अन्य कदम भी शामिल हैं.


ट्रंप ने कहा- अगर चीन अपना व्यवहार नहीं बदलता है तो और दूतावासों को बंद किया जा सकता है
ये कदम ऐसे समय में उठाए गए हैं जब ट्रंप ने अमेरिका में कोरोना वायरस फैलने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है. ट्रंप ने कहा कि अगर चीन अपना व्यवहार नहीं बदलता है तो और दूतावासों को बंद किया जा सकता है. उन्होंने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा कि ऐसा हमेशा संभव है.


72 घंटों के भीतर वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश
विदेश विभाग ने कहा कि उसने 72 घंटों के भीतर वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है. उसने आरोप लगाया कि चीनी एजेंटों ने टेक्सास में संस्थानों से डेटा चुराने की कोशिश की.


चीन के महावाणिज्यिक दूत काई वेई ने ह्यूस्टन में केटीआरके-टीवी को बताया कि बंद करने का आदेश ‘‘पूरी तरह गलत’’ और अमेरिका-चीन संबंधों को ‘‘बहुत नुकसान’’ पहुंचाने वाला है.


जासूसी और डेटा चुराने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर काई ने कहा, ‘‘आपको सबूत देने होंगे, तथ्यों के आधार पर कुछ कहें...आपके पास कानून की व्यवस्था है, जब तक आप दोषी साबित नहीं होते तब तक आप दोषी नहीं होते.’’


विदेश विभाग की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस ने कहा कि दूतावास बंद करने का उद्देश्य ‘‘अमेरिका की बौद्धिक संपदा और अमेरिकियों की निजी सूचना की सुरक्षा’’ करना है.


वहीं चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘‘ह्यूस्टन में इतने कम समय में चीन के वाणिज्य दूतावास को बंद करने का एकतरफा फैसला चीन के खिलाफ हाल में उठाए उसके कदमों में अभूतपूर्व तेजी दिखाता है.’’



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