बड़बोला बयान देकर फिर फंस गए ट्रम्प, अब उठ रहे हैं सवाल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयान की वजह से घिरते हुए नजर आ रहे हैं.डोनल्ड ट्रंप की पीएम नरेंद्र मोदी से भारत-चीन सीमा तनाव पर हुई बातचीत का दावा हवाई नजर आ रहा है.
नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद में अपनी ताजा दिलचस्पी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प एक बार फिर बड़बोले बयानों की कंटीली बाड़ में उलझते नजर आ रहे हैं. पहले ट्रम्प ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव देकर चौंकाया. वहीं अब उनका पीएम नरेंद्र मोदी से भारत-चीन सीमा तनाव पर हुई बातचीत का दावा हवाई नजर आ रहा है. क्योंकि दोनों नेताओं के बीच हुआ पिछला फोन संवाद 4 अप्रैल का है. जिसका मुद्दा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति था.
चार अप्रैल को हुई थी फोन पर बातचीत
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बीच भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर कोई बात नहीं हुई. दोनों नेताओं के बीच पिछला फोन संवाद 4 अप्रैल को हुआ था और वो हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के बारे में था. यानी जाहिर है तब तक चीन का साथ लद्दाख में गलवान घाटी या पेंगोंग झील या सिक्किम में नाकूला में झड़प और आमने-सामने के ताजा तनाव का घटनाक्रम ही नहीं हुआ था.
बुधवार को किया था ट्रम्प ने ट्वीट
दरअसल, राष्ट्रपति ट्रम्प ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा तनाव चल रहा है और इसे सुलझाने के लिए अमेरिका तैयार है. दोनों मुल्कों के बीच मध्यस्थ की भूमिका के लिए अमेरिका सक्षम भी है और तैयार भी है. इस पेशकश के जवाब में भारत और चीन दोनों ने ही किनारा कर लिया.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मामलों को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर व्यवस्थाएं मौजूद हैं और दोनों देश इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. भारतीय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि मामले को सुलझाने के लिए दिल्ली से लेकर बीजिंग तक राजनयिक प्रयास जारी हैं.
भारत की तरफ से आए इस बयान के बावजूद राष्ट्रपति ट्रम्प ने 28 मई को वॉशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान न केवल भारत चीन सीमा तनाव पर अपनी फिक्र जताई बल्कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई बातचीत का भी दावा किया. राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम मोदी एक सज्जन व्यक्ति हैं और मेरे अच्छे दोस्त भी. उनसे मेरी बात हुई तो वो चीन के साथ चल रहे सीमा तनाव को लेकर काफी खराब मूड़ में थे. ट्रम्प ने अपना मध्यस्थता प्रस्ताव दोहराते हुए कहा कि यदि भारत और चीन तैयार हो तो वो इसमें मदद के लिए तैयार हैं.
जाहिर है जब मोदी और ट्रम्प के बीच 4 अप्रैल के बाद कोई बातचीत ही नहीं हुई तो फिर भारतीय पीएम का उनके आगे चीन सीमा मामले को लेकर अपनी नाराजगी जताने का सवाल ही नहीं उठता. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि फिर आखिर क्यों राष्ट्रपति ट्रम्प ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं?
इसका जवाब बीते कुछ दिनों के दौरान चीन के खिलाफ दबाव बढ़ाने की रणनीति में नजर आता है. कोरोना वायरस संकट के प्रबंधन को लेकर सवालों में घिरे चीन के खिलाफ ट्रम्प और उनकी सरकार ने मोर्चा खोल रखा है. इसमें चुनावों में जा रहे ट्रम्प को जहां कोरोना से बुरी तह प्रभावित अमेरिका में अपनी सरकार की कमियों को ढंकने का मौका दिख रहा है वहीं इस वायरस से हलकान अमेरिकी जनता की नाराजगी बीजिंग की तरफ मोड़ने का अवसर दिखाई दे रहा है. जाहिर है बिजनेसमैन से राजनेता बने ट्रम्प इस डील को गंवाना नहीं चाहेंगे. यही कारण भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चीन को कठघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे.
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