नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहे हैं. अमेरिका ने दावा किया है कि ईरान ने उसके ड्रोन गिराए हैं, जो एक बड़ी गलती है. दिलचस्प है कि अमेरिका और ईरान दोनों ने यह स्वीकार किया है कि ईरानी सुरक्षा बल ने अमेरिकी सैन्य निगरानी ड्रोन को मार गिराया है लेकिन दोनों ने इस बारे में अलग-अलग जानकारी दी है.


अमेरिका-ईरान के बीच तनाव का असर भारतीय जहाजों पर भी देखा गया. नौसेना ने ईरान के आसपास से जहाजों को सुरक्षित निकालने के लिए ऑपरेशन संकल्प चलाया. नौसेना ने ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी में अपने युद्धपोत तैनात किये हैं. ताकि इस क्षेत्र में मौजूद और वहां से गुजरने वाले भारतीय पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. नौसेना ने कहा कि इसके अलावा, भारतीय नौसेना के विमान क्षेत्र में हवाई निगरानी रख रहे हैं.


नौसेना ने कहा, ‘‘आईएनएस चेन्नई और आईएनएस सुनयना को समुद्री सुरक्षा अभियान के लिए ओमान की खाड़ी और फारस की खाड़ी में तैनात किया गया है. इसके अलावा, नौसेना के विमान क्षेत्र में हवाई निगरानी रख रहे हैं.’’


ट्रंप की चेतावनी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह ड्रोन स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर था. हमारे पास यह सभी तथ्यों के साथ दर्ज है न कि हम सिर्फ बातें बना रहे हैं और उन्होंने बड़ी गलती की है.’’उन्होंने रक्षा विभाग द्वारा ड्रोन के मार गिराए जाने का दावा करने के बाद ही ट्वीट किया था, ‘‘ईरान ने बड़ी गलती की.’’


जब उनसे पूछा गया कि वह ईरान की कथित कार्रवाई का क्या जवाब देंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘आप को इसकी जानकारी होगी.’’ एक सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने इससे इंकार किया कि उनके सलाहकार उन्हें ईरान के साथ युद्ध की तरफ धकेल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, नहीं...ऐसा नहीं है. यह बिल्कुल उल्टा है.’’


ईरान का दावा
ईरान ने कहा कि वह यह साबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जाएगा कि उसने अमेरिका के जिस जासूसी ड्रोन को मार गिराया है वह ईरानी हवाई क्षेत्र में घुस आया था. ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ ने ट्वीट किया, ‘‘ हम इस नई आक्रमकता को संयुक्त राष्ट्र ले जाएंगे और दिखांएगे कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र के बारे में झूठ बोल रहा है.’’


इससे पहले, अमेरिका के एक जनरल ने कहा था कि ड्रोन ईरानी तट से 34 किलोमीटर दूर था. ज़रीफ ने कहा, ‘‘ हम जंग नहीं चाहते हैं, लेकिन हम अपने आसमान, ज़मीन और जल क्षेत्र का पूरी तरह से बचाव करेंगे.’’


रिवोल्यूशनरी गार्ड ने एक बयान में कहा कि अमेरिका निर्मित ग्लोबल हॉक निगरानी ड्रोन विमान को एक मिसाइल से निशाना बनाया गया. उस पर यह हमला उस वक्त किया गया, जब वह होरमोजगन प्रांत के जल क्षेत्र के ऊपर था.


ध्यान रहे कि इस जल क्षेत्र में करीब हफ्ते भर पहले दो टैंकरों पर हमला हुआ था और अमेरिका ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया था. इस घटना से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है. हालांकि, ईरान ने इसमें अपनी किसी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है.


गौरतलब है कि 2015 के ऐतिहासिक परमाणु करार से पिछले साल मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हटने की घोषणा के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है.