अमेरिकी चुनाव में आज पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट, 90 मिनट की बहस में 6 अहम मुद्दों पर होगी चर्चा
कोरोना महामारी की वजह से इस बार की प्रेसिडेंशियल डिबेट बेहद अलग होगी. डिबेट में सिर्फ 75 से 80 लोग शामिल हो सकेंगे, जिनका समारोह में शामिल होने से पहले वायरस टेस्ट किया जाएगा.
वॉशिंगटन: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए महीनाभर का समय रह गया है. अमेरिका में 3 नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति और उनके डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी के बीच तीन बार प्रेसिडेंशियल डिबेट होनी है. इसी कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बिडेन के बीच पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट आज होगी.
डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन के बीच कोरोना महामारी, अर्थव्यवस्था, अमेरिका में नस्लीय हिंसा, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति समेत कुल 6 अहम मुद्दों पर डिबेट होगी. अयोवा में क्लीवलैंड क्लिनिक और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के परिसर में आयोजित ये डिबेट बिना किसी कॉमर्शियल ब्रेक के 90 मिनट की होगी. हर मुद्दे पर डिबेट के लिए 15 मिनट का समय दिया जाएगा. ट्रंप और बिडेन दोनों उम्मीदवारों को हर सवाल का जवाब देने के लिए 2 मिनट का समय दिया जाएगा.
ट्रंप और बिडेन पहले डिबेट में नहीं मिलाएंगे हाथ कोरोना महामारी की वजह से इस बार की प्रेसिडेंशियल डिबेट बेहद अलग होगी. अपनी पहली डिबेट में जब ट्रंप और बिडेन एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे, तब ये न तो आपस में हाथ मिलाएंगे और न ही कोहनी से टक्कर (अनौपचारिंग ग्रीटिंग का एक रूप) देंगे. ट्रंप, बिडेन और डिबेट मॉडरेटर व फॉक्स न्यूज के होस्ट क्रिस वॉलेस इस दौरान मास्क नहीं पहनेंगे.
डिबेट में सिर्फ 75 से 80 लोग शामिल हो सकेंगे, जिनका समारोह में शामिल होने से पहले वायरस टेस्ट किया जाएगा. पहला सवाल ट्रंप के लिए होगा, जो दाईं ओर खड़े होंगे, जबकि पूर्व उपराष्ट्रपति बाईं ओर होंगे.
1960 में हुई थी अमेरिका में पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले बहस की शुरुआत बहस 26 सितंबर 1960 को हुई थी. तब जॉन एफ केनेडी (लेफ्ट) और रिचर्ड निक्सन (राइट) के बीच बहस हुई थी. इसके 16 साल बाद 1976 से अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों की बहस होना शुरू हुई. तब गेरोल्ड फोर्ड और जिमी कार्टर के बीच बहस हुई थी जिसके बाद अमेरिका में हवा बदल गई और कार्टर ने बढ़त ले ली.
परंपरा के मुताबिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच तीन बहस होती हैं और एक बहस उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच होती है. शुरुआत में ये बहस दो पार्टियों के बीच समझौते के आधार पर होती था, 90 के दशक के दौरान कमिशन फॉर प्रेसिडेंशियल डिबेट्स बनाया गया जो ये बहस आयोजित करवाता है.
प्रेसिडेंशियल डिबेट की क्या है अहमियत अमेरिका में बहस में खास मुद्दों पर दोनों पक्षों को बोलना होता है इसमें दोनों अपना पक्ष रखते हैं और फिर एक दूसरे के तर्कों को काटते हैं. इसमें उम्मीदवार की कमी और ताकत का पता लग जाता है. ये पूरी बहस टेलीविजन पर सीधी प्रसारित की जाती है.
जिन वोटरों तक उम्मीदवार प्रचार के दौरान सीधे नहीं पहुंच पाते उन तक बात पहुंचाई जाती है. जो वोटर तय नहीं कर पाए कि वोट किसे देना है ये डिबेट उन पर सीधा असर डालती है. ऐसे में दोनों उम्मीदवार क्या बोलते हैं, कैसे दिखते हैं, स्क्रीन पर कितना एक्टिव हैं और बड़े मुद्दों पर उनकी राय क्या है, उनकी नीति क्या है, इन सभी पर नजर रखी जाती है.
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