Israel-Palestine: मिडिल ईस्ट पिछले कुछ महीनों में शांति की ओर लौट रहा था, मगर तभी हमास ने इजराइल पर हमला कर दिया. इस हमले ने एक बार फिर से मिडिल ईस्ट में उथल-पुथल मचा दी है. जिस गुटबाजी के खत्म होने के आसार नजर आ रहे थे, वो अब फिर से मजबूत हुआ है. हमास के हमले के बाद सभी अरब मुल्कों ने एक सुर में इजराइल की निंदा की है. सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर, ओमान, यूएई समेत खाड़ी के लगभग सभी देश एक साथ नजर आए. 


दरअसल, इस हमले को लेकर कहा जा रहा है कि ये बेहद ही सोची समझी चाल के तहत अंजाम दिया गया है. हाल के दिनों में इजराइल के साथ अरब मुल्कों के रिश्ते सामान्य हो रहे थे. अगर ऐसा होता, तो फिर फलस्तीन के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं बचता. ऊपर से ऐसा होने पर ईरान को भी घाटा था, क्योंकि वह खाड़ी में अलग-थलग पड़ जाता. यही वजह है कि हमास के हमले के बाद उसके समर्थन में आवाज उठाने वाले पहले मुल्कों में ईरान शामिल रहा है.  


अमेरिका-सऊदी अरब के रक्षा समझौते के चलते हुए हमला!


रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका सऊदी अरब और इजराइल के बीच रिश्ते सामान्य करवाने में जुटा हुआ है. इसके बदले में सऊदी अरब को अमेरिका के साथ एक रक्षा समझौता करने का मौका मिलता. ऐसा होने पर सऊदी अरब और ईरान के बीच सुलह के दरवाजे भी बंद हो जाते, क्योंकि तेहरान वाशिंगटन के खिलाफ रहा है. अगस्त में ही सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाह्यान से मुलाकात की थी.  


सऊदी अरब अगर इजराइल के करीब जाता है, तो इससे ईरान संग उसके सुधर रहे रिश्ते पटरी से उतरते ही. साथ ही साथ फलस्तीन का मुद्दा भी ठंडे बस्ते में चला जाता. ईरान फलस्तीन का कट्टर समर्थक रहा है. ऐसा ही कुछ हाल बाकी के अरबों मुल्कों का भी रहा है. मगर हमास और फलस्तीनी चरमपंथी समूह ऐसा किसी भी हालत में होने नहीं देना चाहते हैं. माना जा रहा है कि इसी के चलते हमास ने इजराइल को निशाना बनाया, ताकि फिर से फलस्तीन के लिए आवाज बुलंद हो सके. 


फलस्तीन को नजरअंदाज नहीं कर सकते अरब मुल्क


हमास के हमले ने एक बात साफ कर दी है कि अगर मिडिल ईस्ट में इजराइल को सुरक्षा की जरूरत है, तो फिर फलस्तीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हमास के नेता इस्माइल हानियाह ने भी कहा कि अरब मुल्कों ने इजराइल के साथ शांति के लिए जितने भी समझौते किए हैं, वो इस संघर्ष को खत्म नहीं करेंगे. हिजबुल्ला से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि इस हमले के जरिए सऊदी अरब को भी मैसेज दिया गया है, वो फलस्तीन को नहीं भूल सकता है. 


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