India China Conflict: अमेरिका लगातार दावा कर रहा है कि चीन अपने सैन्य तकनीक को बढ़ाने पर लगातार काम कर रहा है. हाल के दिनों में चीन ने अपने हथियारों के जखीरे को काफ़ी बढ़ाया है. इससे पहले वाशिंगटन पोस्ट ने एक खुफिया एजेंसी का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीनी सेना ताइवान और उसके सैन्य ठिकानों के आसपास अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बना सकती है. 


वाशिंगटन पोस्ट ने जिस दस्तावेज का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया था  उसमें बीते 9 अगस्त को सैटेलाइट से ली गईं तस्वीरों में पूर्वी चीन स्थित एक वायु सेना ठिकाने को दिखाया गया है. इस रिपोर्ट में रॉकेट से चलने वाले WZ-8 ड्रोन की तस्वीर दी हुई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन का यह एयरबेस शंघाई से करीब 350 मील दूर एक द्वीप पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि WZ-8 ड्रोन एक अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली है जिसकी मदद से चीन अपने दुश्मन देशों की सैन्य तैनाती के बारे में रीयल टाइम डाटा और सूचना प्राप्त कर सकता है. 


भारत ने भी ड्रोन पर दिया है ध्यान 


रिपोर्ट के अनुसार, चीन पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर नजर रखने की क्षमता विकसित कर रहा है. इसलिए, चीनी उन्नत निगरानी तकनीकी केवल ताइवान या अमेरिका के लिए ही चिंता का विषय नहीं है, बल्कि भारत सहित पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है. ड्रोन और एंटी-ड्रोन प्रौद्योगिकियों के महत्व और उनसे जुड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भारत ने भी इसपर बेहद ध्यान दिया है  फाउंडेशन फॉर स्ट्रैटेजिक रिसर्च के जुलाई 2023 के पेपर में, एंटोनी बॉन्डाज़ और साइमन बर्थॉल्ट ने लिखा है कि चीन भारत के साथ अपनी सीमा पर यूएवी का इस्तेमाल विभिन्न मिशनों जैसे कि रसद सहायता, सीमा निगरानी, युद्ध क्षति मूल्यांकन, तोपखाने स्पॉटिंग, स्निपिंग, माइन क्लीयरेंस और संचार समर्थन के लिए करता है. 


ड्रोन के जरिये घुसपैठ की कोशिश करता है पाक 


उधर, पाकिस्तान भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाले जिहादियों के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय सीमा, खासकर जम्मू-कश्मीर में हथियार, गोला-बारूद, ड्रग्स और नकली भारतीय मुद्रा ले जाने के लिए ड्रोन तैनात कर रहा है. पाकिस्तान की बढ़ती ड्रोन घुसपैठ भारत के सीमा सुरक्षा बलों के लिए एक नई चुनौती है. पाकिस्तानी ड्रोन अधिक ऊंचाई और कम गति पर उड़ सकते हैं, जिससे उनका पता लगाना और उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता है. 


भारत ने किया खास ड्रोन का सफल परीक्षण


ऐसे में चीन और पाकिस्तान की ड्रोन की चुनौतियों को निपटने के लिए भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेलवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानि डीआरडीओ ने एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज से अपने ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर, एक स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग-विंग मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. इसे भारत के स्टील्थ ड्रोन युग की शुरूआत के तौर पर माना गया. 


डीआरडीओ की इस कामयाबी पर भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि यूएवी की स्वायत्त लैंडिंग ने एक अद्वितीय क्षमता का प्रदर्शन किया है, जो इस ड्रोन को किसी भी रनवे से टेक-ऑफ और लैंडिंग करने के काबिल बनाता है. इसे जीपीएस-सहायता प्राप्त जीईओ-संवर्धित नेविगेशन (जीएजीएएन) रिसीवर का उपयोग करके, बोर्ड पर सेंसर डेटा को फ्यूज करके यह उपलब्धि हासिल की गई, जो जीपीएस नेविगेशन को बेहतर बनाने के लिए सैटेलाइट का उपयोग करता है. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत ने दोनों विरोधियों को करारा जवाब देने के लिए ड्रोन तैयार कर लिया है. 


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