वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, और फिलीपीन जैसे एशियाई देशों को चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर अमेरिका दुनिया भर में अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर उन्हें इस तरह से तैनात कर रहा है कि वे जरुरत पड़ने पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीन की सेना) का मुकाबला कर सकें. पोम्पिओ ने जर्मन मार्शल फंड के वर्चुअल ब्रसेल्स फोरम 2020 में एक सवाल के जवाब में यह कहा.


पोम्पिओ ने कहा, ‘‘हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी तैनाती ऐसी हो कि पीएलए का मुकाबला किया जा सके. हमें लगता है कि यह हमारे समय की यह चुनौती है और हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास उससे निपटने के लिए सभी संसाधन उचित जगह पर उपलब्ध हों.’’


डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर सैनिकों की तैनाती की समीक्षा की जा रही है और इसी योजना के तहत अमेरिका, जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटा कर 25 हजार कर रहा है.


पोम्पिओ ने कहा कि सैनिकों की तैनाती जमीनी स्थिति की वास्तविकता के आधार पर की जाएगी.


उन्होंने कहा, ‘‘कुछ जगहों पर अमेरिकी संसाधन कम रहेंगे. कुछ अन्य जगह भी होंगे. मैंने अभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे की बात कही है, इसलिए अब भारत को खतरा, वियतनाम को खतरा, मलेशिया, इंडोनेशिया को खतरा, दक्षिण चीन सागर की चुनौतियां हैं.’’


भारत ने कहा LAC पर चीन के नए दावे अनुचित और अस्थिर


भारत ने साफ कर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर न तो चीन की कार्रवाई जायज है और न ही उसके दावे. इतना ही नहीं विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी एक तरफा कार्रवाई के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की चीन की कोशिश भारत के लिए कतई अस्वीकार्य है. गलवान घाटी समेत एलएसी पर बढ़ाए जा रहे चीनी दावों को भी भारत ने खारिज किया है.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब तक चीन की तरफ से की गई कार्रवाई के कारण ही तनाव बढ़ा है. इसके चलते ही 15 जून की घटना भी हुई जिसमें सैनिक हताहत हुए. साथ ही चीन के बदले और आक्रामक तेवरों के कारण ही स्थिति तनावपूर्ण हो रही है.


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