चीन की बढ़ती ड्रोन पावर को अमेरिका बड़े खतरे के तौर पर देख रहा है. चीन की सेना तकनीकी तौर पर खुद को अपग्रेड करने में लगी है, जिसे लेकर अमेरिकी एजेंसियों को लगता है कि वह ताइवान और सैन्य बेस में अमेरिका से मुकाबले के लिए ऐसा कर रहा है.


इंडो-पैसिफिक रीजन में नजर रखने के लिए भी चीन अपनी क्षमता बढ़ाने में लगा है, ऐसे में यह भारत के लिए भी चिंता की बात है. हालांकि, भारतीय सेना दिन पर दिन ज्यादा पावरफुल हो रही है और सैन्य शक्तियां बढ़ाने के लिए भी अब उसने आत्मनिर्भरता बढ़ाई है.


अमेरिका ने चीन की ड्रोन पावर को क्यों बताया चुनौती
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने 18 अप्रैल को एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें कहा गया कि नेशनल जियो स्पेशियल एजेंसी के सीक्रेट दस्तावेज में कहा गया कि चीनी सेना अपनी तकनीकी पावर बढ़ा रही है ताकि वह ताइवान और सैन्य बेस में अमेरिकी वॉरशिप से मुकाबला कर सके.


रिपोर्ट में कहा गया कि दस्तावेजों में 9 अगस्त की सैटेलाइट इमेज भी दिखाई गई है, जिसमें पूर्वी चीन के शंघाई में 350 मील अंदर सैन्य बेस में दो WZ-8 रॉकेट चालित ड्रोन नजर आ रहे हैं. इन ड्रोन्स में अत्याधुनिक मॉनिटरिंग सिस्टम लगा है, जो चीन को रियल-टाइम मैपिंग डेटा कलेक्ट करने और भविष्य के संघर्षों के लिए रणनीति तैयार करने में मदद कर सकता है.


इंडो-पैसिफिक रीजन पर नजर रख रहा चीन
पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर नजर  रखने के लिए चीन अपनी क्षमता बढ़ा रह है इसलिए सैन्य क्षेत्र में उसकी बढ़ती शक्ति सिर्फ ताइवान और अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि भारत समेत पूरे इंडो-पैसिफिक रीजन के लिए खतरा है. बॉर्डर पर चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत मानवरहित हवाई वाहन (Unmanned Aerial Vehicle, UAV) सिस्टम को अपग्रेड कर रहा है.


ड्रोन पावर आधुनिक सैन्य रणनीति का महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि ड्रोन टेक्नोलॉजी का काफी विस्तार हो रहा है. ऐसे में भारत भी अपनी ड्रोन क्षमता बढ़ाने में जुटा है. जुलाई में स्ट्रेटेजिक रिसर्च में एंनटोनियो बोनडाज और सायमन बेरथॉल्ट ने कहा था कि भारत के साथ सीमा पर चीन लॉजिस्टिक सपोर्ट, सर्विलांस, युद्ध से हुई क्षति के आकलन, आर्टलरी स्पोटिंग, स्निपिंग और संचार के लिए यूएवी का इस्तेमाल करता है.  वहीं, पाकिस्तान ने भी 4 सालों में भारत के साथ सीमा पर ड्रोन पावर बढ़ाई है.


बॉर्डर पर पाक ड्रोन्स की भी बढ़ी संख्या
सीमा पर भारतीय क्षेत्र में हथियारों, गोला बारूद, ड्रग्स और फर्जी भारतीय करेंसी भेजने के लिए पाकिस्तान ड्रोन्स का इस्तेमाल करता है. जम्मू-कश्मीर में खासतौर से पाकिस्तान की तरफ से ऐसी गतिविधियां देखी गई हैं. इस तरह वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों और अलगवावादी नेताओं की मदद करता है. 


पाकिस्तान ने एंटी-ड्रोन का भारतीय सीमा पर विस्तार किया है और भारतीय क्षेत्र में ऐसी गतिविधियों की पहचान कर सुरक्षाबलों ने इन पर कार्रवाई भी की है. जुलाई महीने में कार्नीगे इंडिया में सूर्या कृष्णा और आशिमा सिंह ने बताया था कि 2020 से 2022 तक बॉर्डर पर पाक ड्रोनों की संख्या 77 से 311 हो गई है. उन्होंने बताया कि साल 2020 में 77 ड्रोन्स की पहचान की गई थी, 2021 में 104 और साल 2022 में 311 ड्रोन्स देखे गए. ये आंकड़े बताते हैं कि सीमा पर भारत से मुकाबले के लिए पाकिस्तान ड्रोन्स का सहारा ले रहा है.


भारत कैसे बढ़ा रहा अपनी ड्रोन ताकत
दोनों पड़ोसी मुल्कों की ड्रोन शक्तियों का मुकाबला करने के लिए भारत भी तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत कैंपेन के तहत रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) भारतीय रक्षा विभाग को अत्याधुनिक सैन्य उपकरण मुहैया करवा रहा है. हाल ही में डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग-विंग यूएवी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. अक्टूबर, 2022 के जर्नल ऑफ डिफेंस स्टडीज में पिंटू महला बताया था कि हाल के सालों में भारत ने चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर अपनी ड्रोन पावर का विस्तार किया है.


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