Study On Covid-19:  कोविड-19 का टीका ले चुके ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों के आईसीयू में भर्ती होने का खतरा कम है. अमेरिका में हुए एक अध्ययन में संकेत मिला है कि कोविड-19 रोधी टीके (Covid-19 Vaccine) की खुराक लेने के बाद कोरोना वायरस के ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Variant) से संक्रमित मरीजों के टीका नहीं लेने वालों के मुकाबले गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती होने की आशंका कम है. इस  रिसर्च पेपर को अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम (CDC) की साप्ताहिक रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि ओमिक्रोन संक्रमण काल में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण की वजह से भर्ती होने वाले मरीजों के मुकाबले कम मौत हुई.


टीका ले चुके Omicron संक्रमितों के ICU में भर्ती का खतरा कम


अमेरिका स्थित सिडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर में फेफड़ा रोग विशेषज्ञ और स्टडी पेपर सह लेखक मैथ्यू मोड्स ने कहा कि कुल मिलाकर ओमिक्रोन से संक्रमित लोगों के आईसीयू (ICU) में भर्ती होने की आशंका कम है और डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) से संक्रमण के मुकाबले वेंटिलेटर पर जाने की भी आशंका कम है. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने जुलाई से सितंबर 2021 के बीच सिडर्स-सिनाई मेडिकल सेंटर में भर्ती 339 कोविड-19 संक्रमित मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण किया. उस समय कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट  सबसे अधिक संक्रमित कर रहा था. अनुसंधानकर्ताओं ने इन आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन मेडिकल सेंटर में दिसंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच कोविड-19 के 737 मरीजों के आंकड़ों से किया जब ओमिक्रोन वेरिएंट अधिक प्रभावी था.


बूस्टर डोज की भी अहम भूमिका


अध्ययन के लिए मरीजों की मेडिकल जानकारी इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड से एकत्र की गई. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि ओमिक्रोन के प्रसार के दौरान अस्पताल में भर्ती अधिकतर मरीजों ने साल 2021 की गर्मियों के दौरान जब डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण था. इसके मुकाबले के लिए टीकाकरण करा लिया था. सिडर्स-सिनाई में वरिष्ठ अनुसंधान पत्र लेखक पीटर चेन ने कहा कि जब ओमिक्रोन का प्रभाव बढ़ा तो लोगों को टीकाकरण से मिली सुरक्षा के अलावा हमने देखा कि बूस्टर खुराक (Booster Dose) की भूमिका भी लक्षणों की गंभीरता को कम करने में अहम हैं, खासतौर पर बुजर्गों में. उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन के संक्रमण के दौरान टीकाकरण कराने वालों के मुकाबले बिना टीकाकरण वाले मरीजों के गंभीर लक्षणों के साथ अस्पताल में भर्ती होने और उनके श्वास संबंधी गंभीर समस्या होने की अधिक आशंका है.


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