रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है. इस बीच कच्चे तेल का मसला भी सुर्खियों में है. जंग के बीच रूस से सस्ता तेल खरीदने को लेकर अमेरिका और भारत के रिश्तों में मतभेद गहरा सकते हैं. रूस की ओर से भारत को सस्ते में कच्चा तेल ऑफर किए जाने के बाद अमेरिका ने कहा है कि रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. अमेरिका ने चेतावनी के लहजे में कहा है कि रूसी नेतृत्व का समर्थन विनाशकारी प्रभाव वाले युद्ध का समर्थन करना है. भारत का ये कदम उचित नहीं होगा और ये दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को इतिहास के गलत पक्ष को समर्थन करने की ओर ले जाएगा. 


भारत को चेतावनी लेकिन जर्मनी पर चुप्पी क्यों?


रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच दुनियाभर में कच्चे तेल के दाम काफी बढ़ गए हैं. अमेरिका का ये बयान उस वक्त आया है जब तेल के दाम में काफी उछाल है और जर्मनी समेत कई यूरोपीय देश अभी भी तेल और गैस रूस से ही खरीद रहे हैं. अमेरिकी राष्‍ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्‍ता जेन पास्‍की ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन का दुनिया के सभी देशों के लिए मैसेज है कि वो अमेरिकी प्रतिबंधों का ठीक से पालन करें. भारत के संबंध में उन्होंने कहा कि ये सोचना जरूरी है कि आप किसके साथ समर्थन में खड़े हैं. पास्‍की ने आगे कहा कि जब इतिहास की किताबें इस समय लिखी जा रही हैं, रूसी नेतृत्व का समर्थन करना एक तरह से हमले का ही समर्थन करना है और इसके विपरीत और विनाशकारी प्रभाव पड़ सकते हैं.


अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद कई यूरोपीय देश रूस से खरीद रहे हैं तेल


भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी तेल दूसरे देशों से आयात करता है. इसमें से 2 से 3 फीसदी तेल का आयात रूस से किया जाता है. अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद कई यूरोपीय देश अभी भी रूस से तेल और गैस की खरीद कर रहे हैं. भारत ने ने रूस की ओर से मिले कच्चे तेल के ऑफर को अभी स्वीकार नहीं किया है लेकिन माना जा रहा है कि तेल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए भारत सरकार रूस से सस्ती दरों पर कच्चे तेल के आयात को हरी झंडी दे सकती है. हालांकि ऐसे में अमेरिका के साथ रिश्ते कुछ हद तक बिगड़ने की भी संभावना है. कुछ दिन पहले ही रूस ने धमकी दी थी कि अगर पश्चिमी देशों ने रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाया तो जर्मनी के लिए मुख्य गैस पाइप लाइन बंद कर देगा. 


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