US Trade Blacklist: अमेरिका ने पाकिस्तानी कंपनियों को किया ब्लैकलिस्ट, इससे पड़ोसी मुल्क में और बढ़ेगा आर्थिक संकट
US Blacklists Pakistan Firms: अमेरिका ने नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में संलिप्त चीन, रूस, बेलारूस और ताइवान की कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाला. इससे पाकिस्तानी कंपनियां भी बच नहीं पाई हैं.
Pakistani Firms Blacklisted By US: दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने रूस और चीन समेत कई देशों की ट्रेड कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाला है. इन देशों में भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी है. पाकिस्तानी कंपनियों के ब्लैकलिस्ट होने पर उसकी बदहाल आर्थिक हालात को और चोट पहुंचेगी क्योंकि इस कदम के चलते उन्हें विदेशी माल जुटा पाना मुश्किल हो जाएगा.
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार 'डॉन' के अनुसार, मिसाइल और परमाणु गतिविधियों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए अमेरिकी ट्रेड ब्लैकलिस्ट में डाली गई 14 संस्थाओं की सूची में पाकिस्तानी कंपनियों की एक अस्पष्ट संख्या को जोड़ा गया है. इससे पहले अमेरिकी वाणिज्य विभाग के उद्योग और सिक्योरटी ब्यूरो (BIS) ने गुरुवार को चीन और रूस की 37 कंपनियों के ट्रेड ब्लैकलिस्ट में डालने की जानकारी दी थी. तब यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट ने कहा था कि इन कंपनियों को रूस की सेना का सहयोग करने, चाइनीज आर्मी का समर्थन करने और म्यांमार और चीन में मानवाधिकारों के हनन में शामिल होने या बढ़ावा देने की वजह से ब्लैकलिस्ट किया गया है.
चीन-पाक की 14 कंपनियों को ब्लैकलिस्ट में डाला गया
चीन-रूस की कंपनियों के ब्लैकलिस्ट किए जाने की खबरों के बाद पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइल और परमाणु गतिविधियों में संलिप्त रही कंपनियों का नाम भी यूएस ट्रेड ब्लैकलिस्ट में आ गया. इसका खुलासा यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट के ताजा बयान से हुआ, जिसमें कहा गया है, "चीन-पाक की 14 कंपनियों को पाकिस्तान के मिसाइल प्रोग्राम में कंट्रीब्यूट करने और असुरक्षित परमाणु गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने पर ब्लैकलिस्ट किया जा रहा है."
अब बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ी गतिविधियां कम होंगी
ब्लैकलिस्ट की गई कंपनियों के बारे में खास बात यह है कि इस लिस्ट में "बैलिस्टिक मिसाइल और असुरक्षित परमाणु गतिविधियां" शीर्षक से एक अलग कैटेगरी भी शामिल की गई है और यही वो कैटेगरी है जिसमें पाकिस्तानी कंपनियां ब्लैकलिस्ट की गई हैं. हालांकि, इन कंपनियों के बारे में यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है. ट्रेड एक्सपर्ट्स का कहना है कि वाशिंगटन के इस कदम से लक्षित कंपनियों के लिए अमेरिकी माल की खेप प्राप्त करना कठिन हो जाएगा.
रूस-चीन के सैन्य आधुनिकीकरण में मदद कर रही थीं कई कंपनी
यूएस डिप्टी सेक्रेटरी ऑफ कॉमर्स डॉन ग्रेव्स ने लिस्ट जारी करने के साथ एक बयान में कहा, "हम ऐसी कंपनियों के खिलाफ खड़े होने, रूस और चीन के सैन्य आधुनिकीकरण के मामले में सैन्य आक्रामकता का विरोध करने और मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिए जरूरी कदम उठाते रहेंगे." इसके बाद एक और सेक्रेटरी एलन एफ एस्टेवेज ने आगे कहा, "अमेरिका शांतिपूर्ण व्यापार को ऐसे तरीकों से मोड़ने की अनुमति नहीं देगा जो हमारे मूल्यों को कमजोर करते हैं और हमारी सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं. आज हम यही कर रहे हैं,".
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