Russia-Ukraine War: अमेरिका और चीन के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चाइना को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर बीजिंग रूस को हथियारों की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है तो इससे संबंधों पर असर पड़ेगा और उसके भयंकर दुष्परिणाम होंगे. 


प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि यूक्रेन के साथ युद्ध में चीन को रूस का समर्थन नहीं करना चाहिए. जैसा कि हमने शुरू से ही कहा था और आज भी कह रहे हैं. अगर चीन रूस की मदद करता है तो और देशों के लिए एक गंभीर समस्या होगी.


रूस को हथियार सप्लाई करने पर विचार न करें चीन 


एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा, जब मैं चीनी विदेश मंत्री वांग यी (चीन) तो मैंने उन्हें इस बारे में बताया. मैंने उनसे कहा कि अगर चाइना रूस को हथियारों की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है तो न करे. इससे चीन और अमेरिका के रिश्तों पर असर पड़ेगा. मैंने कहा कि इससे चीन के साथ हमारे संबंधों कराच होंगे, जिससे दुष्परिणाम होंगे. अमेरिका इस बात से आशंकित है कि चीन हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति रूस को कर सकता है. इस बात को लेकर अमेरिका ने चाइना को इससे पहले भी चेतावनी दे डाली है.


बुधवार शाम भारत पहुंचे ब्लिंकन ने जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत की और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की.इस दौरान भारत के विदेश मंत्री जयशंकर और ब्लिंकन ने संबंधों की समीक्षा की और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की. इस बीच ब्लिंकन ने इस बात की भी पुष्टि की कि उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ संक्षिप्त बातचीत की है. 


रूसी विदेश मंत्री से भी मिले ब्लिंकन 


अमेरिकी विदेश मंत्री ने नई दिल्ली में जी20 बैठक के मौके पर कहा, मैंने आज रूसी विदेश मंत्री लावरोव के साथ संक्षेप में बात की. मैंने रूस से अपने गैर-जिम्मेदाराना फैसले को वापस लेने और वापस लौटने के लिए आग्रह किया. मुलाकात के दौरान मैंने रूसी विदेश मंत्री को यह समझाने का भी प्रयास किया कि दुनिया हमसे परमाणु शक्तियों के रूप में उम्मीद करती है.


उन्होंने कहा, मैंने रुसी विदेश मंत्री से कहा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया में या हमारे संबंधों में क्या हो रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका सामरिक हथियारों के नियंत्रण में शामिल होने और कार्य करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा. बता दें कि यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस और अमेरिका के बीच पड़े दरार के बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच पहली आमने-सामने की बैठक थी.


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