'चीन से दूरी और भारत से नजदीकियां बढ़ाओ', अमेरिका की पाकिस्तान के आर्मी चीफ को दो टूक
Asim Munir America Tour: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनिर इन दिनों अमेरिका पहुंचे हैं जहां उन्हें अमेरिकी अधिकारियों ने चीन से दूरी बनाने और भारत से नजदीकियां बढ़ाने का निर्देश दिया है.
Pakistan Army Chief In US: अमेरिका दौरे पर पहुंचे पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनिर को बाइडेन प्रशासन ने भारत को लेकर कड़ी नसीहत दी है. अमेरिका ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पकिस्तान चीन की पैठ को केवल आर्थिक गलियारे तक ही सीमित रखें, उसे अपने सुरक्षा व्यवस्था तक नहीं पहुंचने दें. इसके साथ ही भारत के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश बनी रहे.
नेटवर्क 18 ने अपने शीर्ष खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान में चीनी सुरक्षा चौकियों को रोकने के लिए है. बता दें कि चीन ने पाकिस्तान में काम करने वाले अपने नागरिकों के लिए बलूचिस्तान के ग्वादर में सैन्य चौकियां बनाने और अपने लड़ाकू विमानों के लिए ग्वादर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उपयोग करने की मांग की है. ऐसे में अमेरिका ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को स्पष्ट शब्दों में समझा दिया है.
अमेरिकी राजदूत ने किया था बलूचिस्तान का दौरा
रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में किसी समय अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने "गुप्त रूप से" बलूचिस्तान में चीन द्वारा वित्त पोषित ग्वादर बंदरगाह का दौरा किया था. ऐसे में अमेरिका चीन की हरकतों से भलीभांति वाकिफ है. मालूम हो कि ग्वारदार बंदरगाह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पसंदीदा प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) का अहम हिस्सा है. जिसका नेतृत्व 2015 से बीजिंग कर रहा है. दोनों देशों के बीच असहमति के कारण यह परियोजना गतिरोध पर पहुंच गई है.
भारत के साथ पाकिस्तान को बढ़ानी होंगी नजदीकियां
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान सेना प्रमुख से कहा था कि अगर उनके देश को वित्तीय मदद की जरूरत है तो उन्हें भारत के साथ व्यापार सहित कुछ नियम और शर्तें स्वीकार करनी होंगी.उन्होंने सेना प्रमुख को यह भी सलाह दी कि पाकिस्तान को भारत के साथ जितनी जल्दी हो सके बात करनी चाहिए और उनके साथ व्यापार संबंध बनाए रखने के लिए एलओसी पर शांति बनाए रखनी चाहिए.
रिपोर्ट में इस बात को लेकर भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान कुछ विकास परियोजनाओं पर चीन की शर्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में पाकिस्तान ने अमेरिका की ओर रुख किया है, जिससे सऊदी अरब को भी फायदा हो सकता है.
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