अमेरिका ने विवादित चीनी द्वीप के पास भेजे दो विध्वंसक पोत, चीन ने किया पलटवार
आपको बता दें कि चीन समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम का इस पर अपना-अपना दावा है. इन्हीं वजहों से अमेरिका और इसके सहयोगी लगातार अपने पोतों को दक्षिण चीन सागर में भेजते रहते हैं.
बीजिंग: अमेरिका ने चीन पर नकेल कसने के लिहाज़ से अपने दो विध्वंसक पोतों को दक्षिण चीन सागर में भेजा है. इन पोतों को उन द्वीपों के करीब भेजा गया है जो विवादित हैं. चीन ने इसे उकसावे से भरी और विवाद पैदा करने वाली कार्रवाई करार दिया है. गाइडेड मिसाइलों वाले इन युद्ध पोतों का नाम 'यूएसएस स्प्रूएंस' और 'यूएसएस प्रेबल' है. दोनों ही चीनी दावे वाले प्रीबेल द्वीप से होकर गुजरीं. अमेरिका ने इसे "नेविगेशन ऑपरेशन की स्वतंत्रता" का नाम दिया है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "अमेरिका दक्षिणी चीन सागर में विवाद और तनाव पैदा करके शांति भंग करने की कोशिश कर रहा है." उन्होंने अमेरिका को किसी भी उकसावे भरी स्थिति पैदा करने से दूर रहने को कहा है. ये घटना ठीक उससे पहले हुई है, जब दोनों देश ट्रेड वॉर से जुड़ी बातचीत की तैयारी में लगे हुए हैं. दुनिया की ये दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं उस स्थिति से बचने की कोशिश कर रही हैं, जिसमें इनके बीच का व्यापार युद्ध बेहद असहज रूप अख्तियार कर रहा है.
आपको बता दें कि चीन समूचे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम का इस पर अपना-अपना दावा है. इन्हीं वजहों से अमेरिका और इसके सहयोगी लगातार अपने पोतों को दक्षिण चीन सागर में भेजते रहते हैं. इसके सहारे ये देश चीन को ये याद दिलाते रहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इन देशों के पास दक्षिण चीन सागर से होकर गुज़रने का अधिकार है, साथ ही अपने जहाज भेजकर ये देश इस क्षेत्र में चीन के दावों को भी कमज़ोर करने का प्रयास करते हैं.
जनवरी के मध्य में अमेरिका और ब्रिटेन की नेवी ने दक्षिण चीन सागर में पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास किया था. ये अभ्यास चीन के उन कदमों के बाद किया गया, जिसके तहत चीन इस क्षेत्र में अपने सैन्य ठिकाने बना रहा है. दोनों देशों के बीच हुई व्यापार वार्ता के दौरान भी पिछली बार एक अमेरिकी सैन्य जहाज यहां से होकर गुज़रा था. इसके जवाब में चीन ने भी एक पोत तैनात किया था, जिसकी क्षमता 4000 किलोमीटर तक मिसाइल दागने की थी.
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