USA Biggest Fiscal Deficit : अमेरिका का कार्यवाहक राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले साल जनवरी में अपना पद छोड़ देंगे. इसके बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका की बागडोर संभालंगे. लेकिन जो बाइडेन ट्रंप के लिए कांटो भरा ताज छोड़ कर जा रहे हैं. अमेरिका की मौजूदा विदेश नीति तो पहले से ही देश के लिए सिरदर्द थी अब देश की आर्थिक हालत भी ट्रंप के लिए खासा परेशानी का सबब बन सकती है. 


दरअसल अमेरिका अपने इतिहास के सबसे बड़े राजकोषीय घाटे की तरफ बढ़ रहा है. देश के हालात कोरोना महामारी से भी बदतर हो रहे हैं. अमेरिका का राजकोषीय घाटा फिस्कल ईयर के शुरूआती दो महीनों में ही 624 अरब डॉलर पहुंच गया है.


कमाई से ज्यादा खर्च


अमेरिका सरकार ने फिस्कल ईयर 2024 में सितंबर तक 6.75 ट्रिलियन डॉलर खर्च किया है. लेकिन रेवन्यू केवल 4.92 ट्रिलियन डॉलर रह गया. वहीं पिछले महीने 669 अरब डॉलर खर्च किए और रेवन्यू 380 अरब डॉलर ही हुआ. इसके साथ ही अमेरिका का कर्ज 27 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 36.2 ट्रिलियन डॉलर पर आ गया है. अमेरिकी सरकार लगातार 17 महीने से कर्ज की दलदल में धंसती जा रही हैं. 


अमेरिका सरकार पर 26.4 ट्रिलियन डॉलर का घरेलू और 7.9 ट्रिलियन डॉलर का बाहरी कर्ज है. सरकार पर फेडरल रिजर्व का 5.2 ट्रिलियन डॉलर, डिपॉजिटरी इंस्टीट्यूशंस का 1.6 ट्रिलियन डॉलर, स्टेट एंड लोकल गवर्नमेंट्स का 1.7 ट्रिलियन डॉलर, म्यूचुअल फंड का 3.7 ट्रिलियन डॉलर डॉलर, यूएस होल्डर्स सेविंग्स बॉन्ड्स का 5.7 ट्रिलियन डॉलर, 7 ट्रिलियन डॉलर का इंट्रागवर्नमेंटल डेट, पेंशन फंड्स का 1 ट्रिलियन डॉलर, और 480 अरब डॉलर इंश्योरेंस कंपनियों का है.




इतना है अमेरिका का विदेश कर्ज


विदेशी कर्ज में जापान का सबसे अधिक 1.1 ट्रिलियन डॉलर, चीन का 820 अरब डॉलर, ब्रिटेन का 680 अरब डॉलर और दूसरे देशों का 5.3 ट्रिलियन डॉलर है. माना जा रहा है कि अगले दशक के दौरान सरकार के कुल टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन का करीब 25% कर्ज के ब्याज का भुगतान करने में जा सकता है.


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