व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन-पियरे ने इस मुद्दे पर पत्रकारों को बताया, “हम गार्सेटी के नाम पर मुहर लगाए जाने की मांग जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, भारत के राजदूत के रूप में गार्सेटी की नियुक्ति बाइडेन प्रशासन की प्राथमिकता है, जिन्हें भारत में राजदूत के रूप में सेवा करने के लिए मजबूत दो दलों का समर्थन मिला था."
गार्सेटी पर गलत व्यवहार का आरोप
गार्सेटी के नाम पर सीनेट से पुष्टि बीते एक साल से रुकी हुई है. उन पर एक वरिष्ठ कर्मचारी के तरफ से गलत व्यवहार का आरोप लगा था, इस कारण से रिपब्लिकन सीनेटर चक ग्रासली ने उनके नॉमिनेशन का शुरु में विरोध किया था. हालांकि, बाद में गार्सेटी के नॉमिनेशन पर से रोक हटा ली गई थी.
सत्तारूढ़ डेमोक्रेट्स पूरे सीनेट के सामने उनके नॉमिनेशन को लाने के लिए मन नही बनाए हुए हैं क्योंकि, उन्हें लगता है कि गार्सेटी के पास इसके लिए पूरे तौर पर मत नहीं हैं. इस संबंध में डेमोक्रेटिक सीनेट नेतृत्व की ओर से कोई ऑफिसीयल कमेंट नहीं की गई है. व्हाइट हाउस का कहना है कि गार्सेटी के पास अभी भी मौका है.
भारत के साथ महत्वपूर्ण साझेदारी
जीन-पियरे ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, “इस समय हमारे पास कोई जानकारी नहीं है. लेकिन, हां, यह हमारे लिए प्राथमिकता बनी हुई है.” उन्होंने कहा, “जैसा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है, भारत के साथ हमारी एक महत्वपूर्ण और परिणाम निकलने वाली साझेदारी है".
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