वेनेजुएला-गुयाना में तेल को लेकर हुई 'तकरार', क्या दक्षिण अमेरिका में छिड़ने वाली है जंग? जानिए भारत पर क्या होगा असर
Venezuela-Guyana Conflict Reason: जंग कितनी ज्यादा भयंकर होती है, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है. हालांकि, ऐसा लग रहा है कि दुनिया में एक और जंग जल्द ही छिड़ने वाली है.
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Venezuela-Guyana Conflict: दुनिया अभी दो जंग झेल रही है. इसमें पहली जंग यूरोप में लड़ी जा रही है, जिसमें रूस और यूक्रेन एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. ये जंग पिछले साल से ही चल रही है. दूसरी जंग मिडिल ईस्ट में हो रही है, जहां 7 अक्टूबर से ही इजरायल और हमास युद्ध लड़ रहे हैं. इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच ऐसा लग रहा है कि दुनिया एक और जंग के मुहाने पर खड़े होते हुए नजर आ रही है.
दरअसल, दक्षिण अमेरिका में दो देश जमीन के एक हिस्से के लिए भिड़ गए हैं. जिन दोनों देशों के बीच टकराव हुआ है, उसमें से एक है आर्थिक प्रतिबंध झेल रहा वेनेजुएला और दूसरा है गुयाना. इन दोनों ही देशों के बीच एस्सेक्विबो क्षेत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया है. वेनेजुएला दावा करते हुए आया है कि ये इलाका उसका है, जबकि गुयाना का कहना है कि ये उसके देश का एक प्रमुख हिस्सा है. विवाद तब और भी ज्यादा बढ़ गया, जब यहां तेल की खोज हुई.
पिछले हफ्ते वेनेजुएला के लोगों ने एक जनमत संग्रह पर वोट किया, जो दक्षिण अमेरिका के हालात बदलकर रख देगा. राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार ने जनमत संग्रह में लोगों से पूछा कि क्या वे इस बात से सहमत हैं कि गुयाना का दो-तिहाई हिस्सा वेनेजुएला का है. वो जिस हिस्से की बात कर रहे थे, उसे एस्सेक्विबो के तौर पर जाना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि वेनेजुएला-गुयाना के बीच विवाद की वजह क्या है और इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा.
एस्सेक्विबो क्षेत्र को लेकर क्या विवाद है?
एस्सेक्विबो क्षेत्र गुयाना के सबसे ज्यादा घने जंगलों वाला इलाका है. ये 1,59,500 स्क्वायर मील में फैला हुआ है और यहां पर गुयाना की आठ लाख आबादी में से 1.5 लाख लोग रहते हैं. एस्सेक्विबो क्षेत्र गुयाना के क्षेत्र का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है. जब अंग्रेजों का राज गुयाना पर चल रहा था, तो उन्होंने इसकी सीमाएं भी निर्धारित करवाई थीं. इसकी सीमाएं ब्रिटिश उपनिवेश के रूप में 1,899 में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले द्वारा निर्धारित की गई थीं.
हालांकि, वेनेजुएला दावा करता है कि एस्सेक्विबो उसका इलाका है. वह अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज भी कर चुका है. यह भावना वेनेजुएला के आम लोगों के भीतर गहरी जड़ें जमा चुकी है, जिन्हें लगता है कि एस्सेक्विबो क्षेत्र पर उनके वैध अधिकार से उन्हें वंचित किया जा रहा है. यही वजह है कि जब एस्सेक्विबो पर दावे के लिए जनमत संग्रह करवाया गया, तो बड़ी संख्या में लोग जुटे.
एक दम से क्यों गरमाया एस्सेक्विबो का मुद्दा?
इस सवाल का जवाब ज्यादा पेचीदा नहीं है, क्योंकि यहां तेल के फील्ड्स की खोज हो चुकी है. तेल की खोज होने से गुयाना की किस्मत चमकने वाली है, जिसकी एक बड़ी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. सबसे पहले यहां 2015 में तेल खोजा गया था, तब से ही हर साल देश की एक अरब डॉलर की कमाई हो रही है. इस पैसे का इस्तेमाल देश में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए किया जा रहा है. गुयाना को उम्मीद है कि वह तेल के जरिए अपने देश का विकास कर पाएगा.
वहीं, राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को अगले साल यानी 2024 में चुनाव लड़ना है. उन्हें लगता है कि अगर वह एस्सेक्विबो क्षेत्र पर कब्जा करने का मुद्दा उठाएंगे, तो उनके चुनावी अभियान को इसका फायदा मिलेगा. यही वजह है कि कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने यहां तक कहा है कि मादुरो को सत्ता की भूख है और वह वापस सरकार बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. ऐसे में गुयाना पर हमला कर एस्सेक्विबो को कब्जाने का ऑप्शन भी खुला हुआ है.
युद्ध हुआ तो भारत पर क्या होगा असर?
दुनिया पहले से ही दो युद्धों का सामना कर रही है. ऐसे में अब कोई भी नहीं चाहेगा कि दक्षिण अमेरिका में भी जंग शुरू हो जाए. यहां युद्ध रोकने के लिए चीन और अमेरिका भी आगे गए हैं. उन्होंने दोनों ही पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की है. वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे वेनेजुएला से भारत ने हाल ही में तेल खरीदना शुरू किया है. चीन सस्ती दरों पर वेनेजुएला से तेल खरीद रहा था, इसलिए अमेरिका ने कुछ प्रतिबंध हटाए, ताकि बाकियों को भी मौका मिल सके.
इसका नतीजा ये हुआ है कि कुछ भारतीय कंपनियों ने वेनेजुएला से तेल आयात करना शुरू कर दिया है. भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा तेल आयात करता है. ज्यादातर तेल खाड़ी देशों के आयात किया जाता है, जबकि रूस से भी तेल की सप्लाई ली गई. अभी वेनेजुएला से भी सस्ता तेल लिया जा रहा है. ऐसे में अगर यहां युद्ध शुरू होता है तो भारत को सस्ती दर पर मिलने वाला तेल बंद हो जाएगा.
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