लंदन: लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में शराब कारोबारी विजय माल्या की प्रत्यर्पण (डिपोर्टेशन) की सुनवाई के दौरान भारत के जेल सिस्टम की तुलना रूस की जेलों के हालात से हुई.


61 साल के माल्या के बचाव दल ने भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) के धोखाधड़ी के मामले में तैयार किये गये मामले के जवाब में शुरुआती दलीलों के तहत इस मुद्दे को उठाया.


बचाव पक्ष ने जज एम्म आर्बुथनॉट से कहा कि भारत में जेलों में सुरक्षित हालात पर भारतीय अधिकारियों के दिये गये आश्वासनों के सही से लागू करने का कोई सिस्टम नहीं है.


माल्या के बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमेरी ने अदालत में कहा, ‘‘सरकार (भारत की) अदालत के आदेशों की अवहेलना को दूर करने के उपायों को लेकर असमर्थ और अनिच्छुक रही है.’’


न्यायाधीश ने पूछा कि रूस में जेलों में खराब हालात की तुलना भारत से कैसे हो सकती है. वहां प्रत्यर्पण के मामले जेलों के असुरक्षित हालात पर निर्भर करते हैं.


मोंटगोमरी ने कहा कि रूस के हालात भारत से बहुत बेहतर हैं क्योंकि वे कम से कम अदालत के आदेशों के उल्लंघन की समीक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को अनुमति देते हैं, जिसपर न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह रोचक बात है.’’