रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक बड़े मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुजारिश पर सहमत हो गए हैं. सोमवार (8 जुलाई, 2024) को पीएम मोदी मॉस्को पहुंचे तो उन्होंने पुतिन के सामने रूसी सेना में भर्ती भारतीय नागरिकों का मुद्दा रखा और रूस मोटे तौर पर भारतीयों को वापस भेजेने पर सहमत हो गया. शीर्ष सूत्रों ने मंगलवार (9 जुलाई, 2024) को बताया कि रूस अपनी सेना में सहायक कर्मियों के तौर पर भारतीयों की भर्ती बंद करने और काम कर रहे भारतीयों की स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने की भारत की गुजारिश पर मोटे तौर पर सहमत हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दो दिवसीय दौरे पर हैं.
सूत्रों मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अनौपचारिक मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया था. उन्होंने बताया कि मंगलवार को पीएम मोदी और पुतिन के बीच शिखर वार्ता के बाद रूसी सेना में सहायक स्टाफ के रूप में कार्यरत सभी भारतीयों को सेवामुक्त करने के मॉस्को के फैसले की घोषणा होने की उम्मीद है.
सूत्रों ने कहा कि रूस इस मुद्दे पर हमारे अनुरोध पर मोटे तौर पर सहमत हो गया है. पिछले महीने, विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय नागरिक मारे गए हैं. इसी के साथ, रूस-यूक्रेन युद्ध में जान गंवाने वाले उन भारतीय नागरिकों की संख्या बढ़कर चार हो गई है, जो रूसी सेना में सहायक कर्मी के रूप में कार्यरत हैं.
दो और भारतीयों की मौत के बाद, भारत ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती पर सत्यापित रोक लगाने की मांग की थी. विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा था कि रूसी सेना में कार्यरत भारतीय नागरिकों का मुद्दा अत्यंत चिंता का विषय बना हुआ है. उसने मॉस्को से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी.
इस साल मार्च में हैदराबाद निवासी 30 वर्षीय मोहम्मद असफान की यूक्रेन युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर रूसी सैनिकों के साथ तैनाती के दौरान लगी चोटों के कारण मौत हो गई थी. इससे पहले फरवरी में सूरत निवासी 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ दोनेत्स्क क्षेत्र में सुरक्षा सहायक के रूप में तैनाती के दौरान यूक्रेन के हवाई हमले की चपेट में आ गए थे, जिससे उनकी मौत हो गई थी.
(इनपुट पीटीआई-भाषा से)
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