सऊदी अरब का इतिहास किंग फैसल बिन अब्दुल अजीज के बिना पूरा नहीं हो सकता. उन्होंने आधुनिक राष्ट्र के निर्माण की आधारशिला रखी थी. 1964 से 1975 तक किंग फैसल की पहचान अरब जगत की प्रभावशाली हस्ती और विदेश में मुखरता के लिए होती है. खराब सेहत के बावजूद किंग सऊदी अरब की बागडोर लंबे समय तक संभालते रहे. लेकिन 25 मार्च, 1975 का दिन उनकी जिंदगी का अंतिम साबित हुआ.
आज के दिन सऊदी शहंशाह की हुई थी हत्या
भरी सभा में उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. जघन्य वारदात को उनके भतीजे प्रिंस फैसल बिन मुसैद ने अंजाम दिया. हत्या की खबर ने पूरे अरब जगत में शोक की लहर पैदा कर दी. कैरो में अरब विदेश मंत्रियों की होनेवाली कांफ्रेंस फौरन स्थगित कर दी गई. रेडियो स्टेशन से कुरआन की आयतों का प्रसारण होने लगा.
किंग फैसल का जन्म 1906 में सऊदी अरब के रियाज में हुआ था. शासन की बागडोर संभालने से पहले उन्होंने विदेश मंत्री और 1926 में हिजाज प्रांत के वायसराय की भूमिका निभाई. बताया जाता है कि किंग फैसल ने अपने परिवार के सदस्यों की फिजूलखर्ची पर लगाम लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अपने भाई फहद की यूरोप में की जानेवाली फिजूलखर्ची से किंग बहुत नाराज हुए.
उन्होंने प्रिंस फहद को तत्काल वापस रियाज बुलाया. उस वक्त उनकी मीटिंग अधिकारियों के साथ चल रही थी. किंग ने सजा के तौर एक घंटा अपनी पीठ के पीछे प्रिंस फहद को खड़ा किए रखा. 25 मार्च, 1975 के दिन किंग फैसल ने एक आम सभा का आयोजन किया. उसमें लोगों को अपनी समस्या, शिकायत रखने की खुली छूट थी.
हत्या के जुर्म में भतीजे को दी गई मौत की सजा
अमेरिका से वापसी पर आम सभा में प्रिंस फैसल बिन मुसैद भी मौजूद थे. वेटिंग रूम में किंग फैसल से मुलाकात के लिए कुवैती प्रतिनिधि इंतजार कर रहे थे. प्रिंस फैसल ने कुवैती प्रतिनिधियों से बातचीत की. शाही परंपरा के मुताबिक, किंग ने आगे बढ़कर अपने भतीजे को चूमने की कोशिश की. इसी बीच, प्रिंस ने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल कर किंग पर फायर कर दिया.
एक सुरक्षाकर्मी ने म्यान से तलवार निकालकर प्रिंस पर हमला किया. गोली लगते ही किंग जमीन पर गिर गए, अधिकारियों ने उन्हें उठाकर फौरन अस्पताल पहुंचाया. लेकिन 68 वर्षीय सऊदी अरब के तीसरे बादशाह की जिंदगी को बचाया नहीं जा सका. हत्या के आरोप में प्रिंस के खिलाफ मुकदमा चला. अदालत ने हत्यारे का सिर कलम करने का फैसला सुनाया. 10,000 लोगों की भीड़ के सामने सऊदी प्रिंस को मौत के घाट उतार दिया गया. भीड़ ने सुनहरी मूठ वाली तलवार से जल्लाद को कत्ल करते हुए देखा.
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