अपने ट्वीटर थ्रेड में पहले तो वो हिजाब पहने नजर आ रही हैं. उन्होंने हिजाब की तरफ इशारा करते हुए कहा, "इस्लामिक रिपब्लिक, तालिबान और आईएसआईएस हमें इसी तरह देखना चाहता है." लेकिन फिर उन्होंने उस हिजाब को उतारा और कहा, 'यह मेरा असली रूप है. ईरान में मुझसे कहा गया कि अगर मैं हिजाब उतारती हूं तो मुझे बालों से लटका दिया जाएगा, मुझ पर कोड़े बरसाए जाएंगे, जेल में डाल दिया जाएगा, जुर्माने लगेंगे, हिजाब नहीं पहनने पर पुलिस हर रोज मेरी पिटाइ करेगी, मुझे स्कूल से बाहर निकाल दिया जाएगा, साथ ही अगर मेरा रेप होता है तो वह मेरी गलती होगी." उन्होंने आगे कहा कि मुझे सिखाया गया था कि अगर मैं अपना हिजाब निकालती हूं तो मैं अपनी मातृभूमि पर एक महिला की तरह नहीं रह सकूंगी.'
इस्लामिक कानूनों से डर लगता है
मसीह अलीनेजाद आगे कहतीं हैं कि यहां पश्चिम में भी मुझे चुप रहने को कहा गया. लोगों का मानना था कि अगर मैं इनके खिलाफ आवाज उठाती हूं और अपनी कहानियां लोगों तक पहुंचाती हूं तो इस्लामोफोबिया के लिए मैं ही जिम्मेदार होऊंगी. उन्होंने कहा कि मैं मिडिल इस्ट की एक महिला हूं और मुझे इस्लामिक कानूनों से डर लगता है. फोबिया एक तर्कहीन डर होता है लेकिन मेरा और शरिया कानून के अंतर्गत रहने वाली मिडिल ईस्ट की कई महिलाओं के डर के पीछे तर्क हैं, लेट अस टॉक.'
क्रूरता के खिलाफ चुप नहीं बैठने का किया फैसला
दरअसल इस वीडियो के जरिए मसीह इस्लामिक कानूनों के प्रति महिलाओं को आगे आकर बात करने के लिए कहना चाह रही है. उन्होंने अपने वीडियो के कैप्शन में लेट अस टॉक के हैशटैग कै भी इस्तेमाल किया है. जिसे देखकर साफ लग रहा है कि मसीह अब शरिया कानून की शक्ल में हो रही महिलाओं पर क्रूरता के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगी.
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