Water in Iran: ईरान एक ऐसा मुल्क है, जहां पर नदियां, तालाब और झरने नहीं हैं, मतलब जमीन के ऊपर पानी की बड़ी किल्लत है. लेकिन जमीन के नीचे पानी की कोई कमी नहीं है. बीबीसी के मुताबिक आज से करीब तीन हजार साल पहले ही ईरानियों ने जमीन से पानी निकालने की तरकीब खोज निकाली थी, जिसकी मदद से ईरान में कई बगीचे पुराने समय से ही लहलहाते रहे.


बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक समय ईरान में इस्लाम धर्म नहीं था, बल्कि वहां पर पारसी निवास करते थे. रिपोर्ट के मुताबिक ईरान में पहाड़ बहुत हैं और इनकी तलहटियों में भूगर्भ जल की मात्रा पर्याप्त है. आज से तीन हजार साल पहले ईरान की इंजीनियरिंग इतनी एडवांस थी इस पानी को आसानी से निकाल लिया जाता था और पहाड़ी ढलान के जरिए दूर तक ले जाया जाता था. आज भी ईरान में इन पानी के निकासों के चिन्ह मौजूद हैं. 


वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल ईरान की कनात
रिपोर्ट के मुताबिक जमीन के अंदर से पानी निकालने की पद्धति ईरान के इस्फान और याज्द समेत कई इलाकों में देखने को मिलती हैं.  पानी सप्लाई की इस शानदार इंजीनियरिंग को फारसी भाषा में 'कारिज' कहा जाता हैं. लेकिन इसका अरबी नाम 'कनात' ज्यादा चलन में है. रिपोर्ट के मुताबिक कुछ इलाकों में पहाड़ों की तलाहटी से पानी निकालने की पद्धति आज भी चलन में है. साल 2016 में यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कर लिया है.


इस तरह से निकाला जाता था पानी
बताया जाता है कि कनात बनाने के लिए पहले ऐसे पहाड़ों की पहचान की जाती थी, जहां जमीन के अंदर गाद वाली मिट्टी हो. फिर ऐसी जगहों पर खुदाई करके बेहतरीन इंजीनियरिंग के तहत पानी की निकासी की जाती थी और दूर तक इस पानी को ले जाया जाता था. गहरी खुदाई के दौरान ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए भी रास्ते बनाए जाते थे. इसी पद्धति से ठंडी के महीनों में बर्फ भी जमाने का काम किया जाता था, जिससे गर्मी के महीनों में इसका इस्तेमाल किया जा सके. साथ ही कनात के पास वातानुकूलित घर भी बनाए जाते थे, जो गर्मी के महीनों में काफी ठंडा रहते थे.


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