Global Water Scarcity: आज के वक्त में पानी की कमी एक बेहद चिंताजनक बात हो गई है. इस समस्या से निपटने के लिए दुनिया के कई देश पानी को संरक्षित करने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं. पानी की कमी के वजह से दुनिया भर के कई क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं. इसके पीछे कई तरह कारण हैं. इनमें आबादी का बढ़ना, बड़े स्तर पर शहरीकरण होना, मॉर्डनाइजेशन, जलवायु परिवर्तन और पानी की अत्यधिक बर्बादी शामिल हैं.
वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के एक्वाडक्ट वॉटर रिस्क एटलस की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबली हम लोग पानी की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं. इसके वजह से परिणाम काफी नुकसानदेह हो सकते हैं, जो समाज और पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकते हैं.
400 करोड़ लोगों को पानी की दिक्कत
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की एक चौथाई आबादी के बराबर 25 देश वार्षिक जल तनाव से जूझ रहे हैं. ग्लोबली लगभग 4 बिलियन (400 करोड़) व्यक्ति सालाना कम से कम एक महीने पानी की किल्लत का सामना करने को मजबूर हैं. ये दुनिया की आधी आबादी के बराबर है. आने वाले साल 2050 में ये आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी तक हो जाएगा, यानी 50 करोड़.
साल 2050 तक पूरी दुनिया का 70 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी पर पानी की कमी का असर देखने को मिलेगा, जो 31 फीसदी के बराबर होगा. ये आंकड़ा साल 2010 में 15 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी से 7 फीसदी ज्यादा है. ये पहले 24 फीसदी हुआ करता था.
भारत, मैक्सिको, मिस्र और तुर्की पर होगा असर
हर चार साल में जारी होने वाली इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2050 में दुनिया के 4 देशों को अपनी जीडीपी पर आधे से अधिक का नुकसान पानी की कमी से होने वाला है. इनमें भारत, मैक्सिको, मिस्र और तुर्की शामिल होंगे. वहीं रिपोर्ट से पता चला कि दुनिया के 25 देश, जिनमें दुनिया की एक चौथाई आबादी शामिल है.
वे लोग हर साल पानी की कमी के गंभीर समस्या से गुजरते हैं. इन देशों बहरीन, साइप्रस, कुवैत, लेबनान और ओमान पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. ये क्षेत्र पानी की कमी की चपेट में आ सकते हैं और सूखा का सामना करना पड़ सकता है.