अमेरिकी चुनाव के पांच बड़े मुद्दे क्या हैं? बिहार चुनाव की तरह बाइडेन का एक वादा बीजेपी जैसा
देश की जनता डोनाल्ड ट्रंप को अपना कीमती वोट देकर दूसरी बार राष्ट्रपति बनाती है या फिर इस बार बिडेन को जनता अपना वोट देकर देकर का प्रेजिडेंट बनाएगी, यह सब 5 अहम मुद्दों पर निर्भर करता है.
कोरोना संकट के बीच अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है. देश की जनता डोनाल्ड ट्रंप को अपना कीमती वोट देकर दूसरी बार राष्ट्रपति बनाती है या फिर इस बार बिडेन को जनता अपना वोट देकर देकर का प्रेजिडेंट बनाएगी, यह सब 5 अहम मुद्दों पर निर्भर करता है.
सबसे पहला मुद्दा है कोरोना वायरस
पिछले 10 महीनों से दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश माना जाने वाला अमेरिका भी कोरोना नाम की जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है. फिलहाल देश के राष्ट्रपति पद के चुनाव में सबसे ज्यादा बहस इसी मुद्दे को लेकर हो रही है. विशेषज्ञ भी ‘2020 राष्ट्रपति चुनाव’ के लिए इसे ही सबसे बड़ा मुद्दा मान रहे हैं. अमेरिका में कोरोना संक्रमण के कारण 2,20,000 के भी ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. 20 अक्टूबर तक देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 83 लाख के आंकड़े को भी पार कर चुकी है. डोनाल्ड ट्रंप खुद कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और दो हफ्तो से भी कम समय में इलाज कराकर स्वस्थ होकर लौटे थे.
इस मुद्दे पर जहां ट्रंप समर्थक कंजर्वेटिव खेमा डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करता है तो वहीं लिबरल खेमे का कहना है कि अगर प्रशासन ने वक्त पर एक्शन ले लिया होता और सख्ती से पाबंदियां लागू कराई गई होती तो हजारों जिंदगियां काल के गाल में समाए जाने से बचाई जा सकती थी.
दूसरा मुद्दा है स्वास्थ्य क्षेत्र
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ा एक और मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के बाद सर्वप्रथम जिस मामले की सुनवाई होगी वह है ‘एफोर्डेबल केयर एक्ट.’ गौरतलब है कि इस एक्ट को हटवाने के लिए ट्रंप अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कोशिश करते रहे हैं. ऐसे में आम अमेरिकी नागरिक अपने स्वास्थ्य बीमा से संतुष्ट है या नहीं और क्या वे ओबामा केयर को ही रखना चाहते हैं या नहीं. यह सब भी वोट के खेल पर बड़ा असर डाल सकता है.
तीसरा मुद्दा है इकोनॉमी
अमेरिकी मतदातों के लिए तीसरा सबसे अहम मुद्दा है देश की अर्थव्यवस्था, खासतौर पर जब वह बुरे दौर से गुजर रही हो.
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण महामारी फैलने से पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 3 साल के कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यस्था काफी अच्छी रही है. लेकिन मार्च में कोरोना संक्रमण से खराब होते हालात के बीच लागू हुए लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को तोड़ –मरोड़ कर रख दिया. एक तरफ जहां देश में छोटे कारोबारियों का कामकाज ठप हो गया तो वहीं अप्रैल के मध्य तक आते-आते तो 2.3 करोड़ अमेरिकी काम से बाहर हो गए. श्रम मंत्रालय के आंकड़ों की माने तो मार्च-अप्रैल के दौरान देश में बेरोजगारी दर 3.5 प्रतिशत से उछलकर 14.7 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह खबर यकीनन राष्ट्रपति ट्रंप के लिए चिंताजनक है. दरअसल चुनावी मौसम मे वे वोटरो से अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने का वादा कर रहे हैं. लेकिन वहीं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन चरमराई अर्थव्यवस्था के लिए सीधे तौर पर ट्रंप को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और वोटरों से वादा कर रहे है कि उनसे पास अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कहीं ज्यादा बेहतर प्लान हैं और वह मीडिल क्लास अमेरिकियों के जीवन स्तर को उठा सकते हैं.
चौथा मुद्दा है नस्लीय तनाव
मई महीने में मिनियापोलिस में पुलिस के हाथों जॉर्ज फ्लॉयड की मौत हुई थी. इस घटना के बाद देश में एक बार फिर ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ के आंदोलन की आग दहक उठी है. हालांकि अमेरिका में नस्लीय तनाव हमेशा से रहा है लेकिन इस बार न केवल अश्वेत, बल्कि श्वेत अमेरिकी नागरिकों ने भी पुलिस हिंसा के अलावा देश में फैले नस्लवाद के खिलाफ सड़को पर प्रदर्शन किया. कंजर्वेटिव और ट्रंप समर्थक इन आंदोलन के दौरान हुए नुकसान को मुद्दा बनाते हैं तो वहीं लिबरल खेमा का कहना है कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप ने आपसी सौहार्द को बढ़ावा देने के बजाय लोगों को भड़काने का काम किया है.
पांचवां मुद्दा है गर्भपात
ट्रंप के सबसे बड़े समर्थक दल श्वेत प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के लिए यह मुद्दा सबसे बड़ा है. गौरतलब है कि ये लोग अमेरिकी आबादी का 15 प्रतिशत हैं और ये लोग मतदान में भी पूरा योगदान देते हैं. हालांकि कंजर्वेटिव ईसाइयों को ट्रंप का खुद निजी जिंदगी में तलाक लेना और कई शादियां करना गले के नीचे नहीं उतरता है लेकिन गर्भपात जैसे मुद्दे पर वे ट्रंप के रुख से सहमत हैं. वहीं दूसरी तरफ लिबरल वोटरों के लिए भी गर्भपात एक महत्पूर्ण मुद्दा है. डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि लोगों को इस बात का खुद चुनाव करना है कि उन्हें गर्भ गिराना है या रखना है.
‘जो बाइडेन’ का एक वादा बीजेपी जैसा है
वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद के उम्मदीवार जो बाइडेन ने भी वोटरों को लुभाने के लिए एक नया पैंतरा आजमाया है. दरअसल जो बाइडेन ने भारत के बिहार राज्य में चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा किए जा रहे एक लुभावने वादे जैसा एक वादा कर डाला है. उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान लोगों से कहा कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो वह ये अनिवार्य करेंगे कि हर अमेरिकी नागरिक को कोरोना वायरस की वैक्सीन मुफ्त दी जाए. उन्होंने कहा कि, ‘ जब एक बार हमारे पास सुरक्षित और कारगर वैक्सीन आ जाएगी, तो यह हर किसी के लिए मुफ्त होगी, चाहे आपका बीमा हो या नहीं’. उन्होने कहा कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो उनका सारा फोकस अमेरिका को इस महामारी से निजात दिलान पर ही होगा. ऐसा ही वादा बिहार में बीजेपी ने किया है. बीजेपी ने कहा कि बिहार के सभी लोगों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त दी जाएगी.
ये भी पढ़ें
In Depth: ऐसे होता है US के राष्ट्रपति का चुनाव, अमेरिकी चुनाव की ABCD समझिए बस एक क्लिक में
एफबीआई का दावा- चरमपंथी बैरी क्रॉफ्ट ने ट्रंप, ओबामा और क्लिंटन को भी ऑनलाइन पोस्ट में दी थी धमकी