फ्रांस की जनता के सम्मान में हर साल 14 जुलाई को राष्ट्रीय दिवस 'बैस्टिल डे' मनाया जाता है. इस मौके पर आतिशबाजी और पैरेड का आयोजन होता है जिसमें लोगों की बड़ी तादाद शामिल होती है. इस दिन सामूहिक अवकाश होता है. ये 14 जुलाई, 1789 को सैन्य किले और जेल के रूप में मशहूर बैस्टिल के पतन का प्रतीक है जब गुस्साई भीड़ ने उस पर धावा बोल दिया था, जो फ्रांसीसी क्रांति की शुरुआत का संकेत था.
फ्रांस में बैस्टिल डे के पीछे की कहानी
बैस्टिल पेरिस में मध्य युग का एक किला और जेल का नाम है. शुरू में किले के तौर पर निर्माण किया गया था जो पेरिस शहर के पूर्वी दरवाजे की रखवाली के काम आता था. उसका बाद में फ्रांस के राज्य कारागार और 17वीं और 18वीं सदी के दौरान महत्वपूर्ण लोगों के लिए कैद की जगह के तौर पर किया जाने लगा.
क्रांतिकारियों की गुस्साई भीड़ ने 14 जुलाई, 1789 को उस पर धावा बोल दिया और मौके से सात कैदियों को छुड़ा लिया. ये काफी हद तक फ्रांसीसी क्रांति का संकेत समझा जाता है. पिछले साल, कोरोना महामारी के कारण पैरेड और आतिशबाजी प्रभावित हुई थी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार भव्य कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो सका था. उसकी जगह पर हेल्थकेयर वर्कर्स और कोरोना की लड़ाई में शामिल योद्धाओं को शामिल छोटा समारोह मनाया गया. आतिशबाजी भी जनता की भागीदारी के बिना की गई.
बैस्टिल डे फ्रांस की एकता का है प्रतीक
इस बार, रिपब्लिकन गार्ड के 200 घोड़े, 71 प्लेन, 25 हेलीकॉप्टर, 221 वाहन और 4300 सैनिक आयोजन में शामिल होंगे. पैरेड की सलामी के लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों मौजूद रहेंगे, जो सुबह 10 बजे निर्धारित है. दर्शकों को स्वास्थ्य पास जैसे टीकाकरण का सबूत, कोरोना का ताजा निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट या कोविड-19 से ठीक होने का सबूत दिखाने की जरूरत होगी, उसके अलावा, उनको मास्क भी पहनना होगा. दिन के समय कई मेट्रो स्टेशन को भी बंद रखा जाएगा.
पेरिस में स्थानीय अधिकारियों ने पुष्टि की है कि आतिशबाजी का शो होगा, लेकिन चैंप-डे-मार्स में दर्शकों को मास्क पहनने की चेतावनी जारी की. हालांकि, लिली समेत कई शहरों में आतिशबाजी को कोरोना के डेल्टा वेरिएन्ट के फैलाव की वजह से स्थगित करने का फैसला किया गया है.
फ्रांस के प्रकाशकों के साथ विवाद में Google पर लगा 59.2 करोड़ डॉलर का जुर्माना