रविवार यानी 16 अक्टूबर को पांच सालों में एक बार होने वाली चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक का दूसरा दिन था. इस बैठक में देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. हालांकि ये करीब-करीब तय माना जा रहा है कि राष्ट्रपति का पद एक बार फिर शी जिनपिंग ही संभालेंगे. शी के नेतृत्व में चीन ने शासन की एक अनूठी शैली देखी है जो कई मायनों में अन्य चीनी नेताओं से अलग है. चीन के इस महत्वाकांक्षी शासक ने पिछले कई सालों में जापान, वियतनाम, फिलीपींस, भारत, भूटान, तिब्बत, नेपाल आदि देशों के क्षेत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की है.  


चीन की छिपकर वार करने की नीति यानी विस्तारवादी नीति के कारण पिछले कुछ सालों में इस देश पर वैश्विक दबाव लगातार बढ़ा है, लेकिन इतने दबावों के बाद भी चीन अपने इरादे से एक इंच भी टस से मस नहीं हुआ. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस देश की छिपकर वार करने की नीति को 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' कहा जाता है. 




साल 2015 में चीन में एक फिक्शन फिल्म आई थी, 'वुल्फ वॉरियर' और इसके बाद इस फिल्म की सीक्वल आई और यहीं से इस शब्द के चलन काफी ज्यादा बढ़ा. इस नाम ने चीनी राजनीति के लिए प्रेरणा का काम किया. इस फिल्म की कहानी चीनी राष्ट्रवादियों और चीनी लड़ाकों पर केंद्रित थी, जिसमें चीन के सैनिकों को पश्चिमी देशों के भाड़े के सैनिकों का सामना करते दिखाया गया है. 


'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' इस शब्द का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों में कई बार किया गया है, खासकर अंतरराष्ट्रीय राजनीति में. "वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी" शी जिनपिंग सरकार के लिए अपनी विचारधारा का विस्तार करने, पश्चिमी देशों का मुकाबला करने और अपनी रक्षा करने की एक रणनीति है. 


यह विदेश नीति का एक हिस्सा है जो काफी आक्रामक है. खासतौर पर अमेरिका से जुड़े मसलों को लेकर. चीन द्वारा आए दिन अमेरिका पर आक्रामक बयान दिए जाते हैं. अमेरिका के अलावा यह नीति जापान को लेकर भी काफी आक्रामक है. 




शी जिनपिंग के विचारों से जुड़ा है शब्द


साल 2020 में फाइनेंशियल टाइम्स में छपे एक लेख में बताया गया कि किस तरह यह शब्द सीधे तौर पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों से जुड़ा हुआ है. इस लेख में लंदन में SOAS चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टीव त्सांग ने हवाले से कहा गया कि ,"शी जिनपिंग ने कई बार अपने बयानों में कहा है कि, चीनी अधिकारियों और राजनयिकों को चीन की गरिमा की रक्षा के लिए तलवारें खींच लेनी चाहिए."


उन्होंने कहा कि, "वुल्फ वॉरियर' नीति शी जिनपिंग के इसी कॉन्सेप्ट पर काम कर रही है. पिछले कुछ सालों में चीन की डिप्लोमेसी को देखें तो यही लगता है कि चीन के विदेश मंत्री अब अटलांटिक बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री से दो-दो हाथ करने में पीछे नहीं रहते हैं. 


चीन की विदेश नीति में हुए बदलाव के पीछे शी जिनपिंग को जिम्मेदार ठहराया गया है. इस नई विदेश नीति में नेताओं की तुलना में जिनपिंग की ज्यादा सत्तावादी प्रवृत्ति शामिल है. इसके अलावा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड की माने तो इस विदेश नीति के कारण ही अमेरिका-चीन के संबंध बिगड़े हैं.


इसके अलावा आरोप है कि चीन ने कई बार अपने आप को बचाने के लिए काफी आक्रामक रूख अपनाया है. हालांकि, चीन के अधिकारियों की मानें तो 'वोल्फ वॉरियर' नीति केवल पश्चिमी हस्तक्षेप के खिलाफ खड़े होने को लेकर है. 




दिसंबर 2020 में 'द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' ने चीन के उप-मंत्री विदेश ले युचेंग के हवाले से कहा था कि, यह शब्द  'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' "टिट-फॉर-टेट" (जैसे को तैसा) है. उप-मंत्री विदेश ले युचेंग ने पिछले साल कहा था कि 'वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी' के जरिये "चीन की कूटनीति को लेकर गलतफहमी" को दर्शाया जाता है.


चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक


चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने 16 अक्टूबर को बीजिंग में सप्ताह भर चलने वाले अपने कांग्रेस सत्र (Congress Session) की शुरूआत की. इसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) को रिकॉर्ड तीसरी बार पांच साल के कार्यकाल के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है. इस कांग्रेस सत्र में गलवान (Galwan) घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए संघर्ष की भी एक वीडियो दिखाई गई है. 


इस बैठक के बाद अगर जिनपिंग को तीसरे कार्यकाल की मंजूरी मिलने के साथ ही शीर्ष नेताओं के 10 साल के कार्यकाल के बाद इस्तीफा देने का तीन दशकों से चला आ रहा नियम टूट जाएगा. रविवार को अपने भाषण में शी (Xi Jinping) ने कहा कि चीन (China) युद्ध की परिस्थितियों में सैन्य प्रशिक्षण को तेज करेगा और उच्च तकनीक प्रशिक्षण पर जोर देगा. उन्होंने कहा कि चीन नियमित रूप से सैन्य बलों को तैनात करने में और अधिक सक्षम हो जाएगा. ये हमें संकटों और संघर्षों को रोकने और स्थानीय युद्ध जीतने में सक्षम करेगा. शी ने "स्थानीय युद्धों" के संदर्भ में किसी विशेष देश का उल्लेख नहीं किया. 


ये भी पढ़ें:


खड़गे या थरूर : चुनाव जीतने की बात हो या सियासी दांवपेंच, कौन ज्यादा है माहिर?