Israel-Hamas War: इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध में अब तक सबसे ज्यादा नुकसान गाजा पट्टी में रहने वाले फलस्तीनियों को उठाना पड़ा है. हमास के हमले में इजरायल में भी बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है. इजरायल पर हुए हमास के हमले में 1200 से ज्यादा इजरायली नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 2800 के करीब लोग घायल हुए हैं. इसके अलावा इजरायल के दक्षिणी हिस्से में मौजूद शहरों के घरों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. इजरायली नागरिकों को अगवा कर गाजा पट्टी में भी ले जाया गया है. 


कुछ ऐसा ही हाल गाजा का है, जहां इजरायल ने इतनी ज्यादा बमबारी की है, वहां इमारतें मिट्टी में मिल गई हैं. गाजा पर हुई एयरस्ट्राइक के चलते अब तक 1900 से ज्यादा फलस्तीनी जान गंवा चुके हैं. घायलों का आंकड़ा 7600 को पार कर चुका है. ऊपर से इजरायल ने गाजा की बिजली, पानी और फ्यूल की सप्लाई भी बंद कर दी है. ऐसे में अब लोग ये भी पूछ रहे हैं कि क्या युद्ध के कोई नियम होते हैं? युद्ध अपराध क्या होता है, जिसका आरोप इजरायल पर लगा है? क्या कोई देश युद्ध के समय दुश्मन की बिजली, पानी की सप्लाई बंद कर सकता है? आइए इसका जवाब जानते हैं.


क्या है युद्ध का नियम? 


दुनिया में युद्ध के नियम कायदे भी बनाए गए हैं, जिन्हें 'अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून' यानी IHL के तौर पर जाना जाता है. इसमें ये तय किया गया है कि युद्ध के दौरान क्या किया जा सकता है और क्या नहीं. रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी ड्यूनेंट ने 1864 में जिनेवा कन्वेंशन में पहली बार युद्ध के नियम बनाने के लिए अभियान चलाया था. उस वक्त इस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या 12 थी, जबकि आज 196 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किया हुआ है. 


शुरुआत में जो नियम बने थे, उसमें बताया गया था कि किसी भी देश की सेना दुश्मन के घायल सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार नहीं करेगी. अगर कोई सैनिक घायल है, तो उसका इलाज करना भी उसका फर्ज होगा. लेकिन जब पहले और दूसरे विश्व युद्ध में दुश्मन के पकड़े गए सैनिकों और नागरिकों के साथ अत्याचार हुए तो जिनेवा कन्वेंशन को विस्तारित किया गया. इसमें ये भी तय किया गया कि न सिर्फ दुश्मन देशों के सैनिकों के साथ बल्कि नागरिकों के साथ भी बदसलूकी नहीं होगी. 


जिनेवा कन्वेंशन चार संधियों और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल का एक सेट है. जिनेवा कन्वेंशन में ये भी तय किया गया था कि हेल्थकेयर वर्कर्स, सहायता कर्मियों और नागरिकों को भी निशाना नहीं बनाया जा सकता है. प्रथम विश्व युद्ध के बाद जंग के कुछ नियम जिनेवा प्रोटोकॉल के तहत भी बने. इस पर 1925 में स्विट्जरलैंड में हस्ताक्षर किया गया. प्रोटोकॉल के तहत फॉस्फोरस और क्लोरीन गैस जैसे रासायनिक और जैविक हथियारों के इस्तेमाल पर बैन लगाया गया. 


युद्ध के नियम कायदे की लिस्ट



  1. जंग के दौरान नागरिकों को निशाना नहीं बनाया जा सकता है, ये युद्ध अपराध है. मेडिकल प्रोफेशनल्स, हेल्थकेयर वर्कर्स और आम लोग, जो जंग का हिस्सा नहीं हैं. मगर वह इस संघर्ष में फंस गए हैं, तो उनकी सुरक्षा करना होगा. 

  2. युद्ध बंदियों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार होना चाहिए. उन्हें न तो यातना दी जा सकती है और न ही उनका अपमान किया जा सकता है. दुश्मन के पकड़े गए सैनिकों को भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. 

  3. मेडिकल वर्कर्स का ये फर्ज बनता है कि वह अपने देश के सैनिकों के साथ-साथ दुश्मन के सैनिकों का भी इलाज करें, अगर वे घायल हैं. इस वजह से ही कोई भी देश किसी अस्पताल या लोगों के घरों को निशाना नहीं बना सकता है. 

  4. युद्ध के दौरान महिलाओं के साथ दुष्कर्म या यौन हिंसा नहीं की जा सकती है. अगर किसी देश के सैनिक ऐसा करते हुए पाए जाते हैं, तो इसे युद्ध अपराध माना जाएगा और उस देश पर कार्रवाई हो सकती है. 

  5. गैरजरूरी नुकसान पहुंचाने और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचने के लिए युद्ध में इस्तेमाल किए जा सकने वाले हथियार सीमित हैं. केमिकल और बायोलॉजिकल हथियारों को गैर-कानूनी माना गया है. 


युद्ध अपराध क्या है? 


आम लोगों, रिहायशी इलाकों, अस्पतालों, धार्मिक जगहों, ऐतिहासिक जगहों या स्कूलों को निशाना बनाना युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है. आसान भाषा में कहें, तो जहां जंग में लोगों के साथ अत्याचार किया जाता है, उसे युद्ध अपराध यानी 'वॉर क्राइम' मान लिया जाता है. लोगों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर देना भी युद्ध अपराध माना जाता है. उन तक पहुंचने वाले पानी, बिजली या खाने की सप्लाई को बंद करना भी युद्ध अपराध है. कुल मिलाकर 50 हालत बताए गए हैं, जो युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं.


इजरायल पर क्यों लगा युद्ध अपराध का आरोप? 


इजरायल पर युद्ध अपराध का आरोप इसलिए लग रहा है, क्योंकि उसने गाजा में जिन इलाकों को निशाना बनाया है, वहां फलस्तीनी लोग रहते हैं. भले ही इजरायल ने हमले से पहले लोगों को जाने को कहा है, मगर गाजा चारों तरफ से ब्लॉक किया गया इलाका है, ऐसे में लोगों के पास चाहकर भी कहीं जाने का रास्ता नहीं है. यही वजह है कि सिर पर बम गिरवाने के अलावा फलस्तीनी लोगों के पास कोई दूसरा चारा नहीं बचा है. इसलिए लोग इसे युद्ध अपराध भी कह रहे हैं. 


ऊपर से गाजा में खाने, पानी, दवाओं और ईंधन की कमी हो रही है. इजरायल ने दो दिन पहले ही ऐलान किया कि वह गाजा को दी जाने वाली सप्लाई रोक रहा है. ये भी युद्ध अपराध है. ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर बेन सॉल ने एएफपी को बताया कि इजरायल ने खाना, तेल, पानी और ऊर्जा की सप्लाई को रोका है. एक तरह से ये लोगों को भुखमरी की ओर धकेलने जैसा है, जो युद्ध अपराध है. कानून के हिसाब से गाजा पर पूरी तरह से पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है.


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