Malaysia Mufti Bill 2024: 'मुफ्ती 2024 बिल' में ऐसा क्या है जिसपर मलेशिया में मचा बवाल, PM अनवर इब्राहिम ने क्यों उठाया ये बड़ा कदम
Malaysia News: मलेशिया में प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की सरकार मुफ्ती 2024 नाम का एक बिल लेकर आई है. इसको लेकर देश में मुस्लिम समुदाय के बीच आक्रोश देखा जा रहा है.
Malaysia Mufti Bill 2024: मलेशियाई सरकार देश में मुफ्तियों-इस्लामी नेताओं की ताकत बढ़ाने के लिए मुफ्ती 2024 नाम का एक बिल लेकर आई है. इस बिल की मदद से मुफ्ती या इस्लामिक नेता बिना किसी कानूनी बाधा के किसी पर भी फतवा या धार्मिक फैसले जारी कर सकते हैं. इसको लेकर देश में गहरी चिंता जताई जा रही है. इस विधेयक ने वकीलों, इस्लामी नेताओं और धर्मनिरपेक्ष समूहों के बीच विवाद पैदा कर दिया है, जो बिल को मलेशिया की बहुसांस्कृतिक संरचना के लिए खतरा मान रहे हैं.
मुफ्ती बिल 2024 का समर्थन खुद देश के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम कर रहे हैं. इसके मुताबिक बिल में मुफ्तियों को सुन्नी इस्लाम के शफी स्कूल का पालन करने की बात शामिल है, जो मलेशिया में राज्य धर्म की आधिकारिक व्याख्या है. बिल से जुड़े मामले पर एनजीओ गठबंधन और धर्मनिरपेक्ष समूहों का मानना है कि यह कदम मलेशिया के संवैधानिक ढांचे, सरकार और धर्मनिरपेक्ष संसदीय लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है. उनका तर्क है कि यह मलेशिया को एक इस्लामी राज्य में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
गैर-मुसलमानों में मुफ्ती बिल को लेकर बढ़ी चिंता
मलेशिया में आधिकारिक तौर पर धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था है, लेकिन 1980 के दशक से इस्लामीकरण बढ़ता जा रहा है. इससे राज्य और धर्म के बीच की रेखाएं मिटती जा रही है. हालांकि संविधान के तहत धर्म एक राज्य स्तरीय मामला है, लेकिन संघीय सरकार ने हाल के सालों में इस्लामी मामलों में सक्रिय भूमिका निभाई है.मुफ्ती विधेयक पर हो रही बहस के बीच, गैर-मुसलमानों को यह चिंता सता रही है कि यह विधेयक उन्हें इस्लामी आदेशों का पालन करने के लिए मजबूर कर सकता है. मलेशिया की कुल आबादी का 36 फीसदी गैर-मुसलमान हैं, लेकिन बढ़ते इस्लामीकरण ने उनमें असुरक्षा की भावना बढ़ाई है.
मुफ्ती बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय में भी असहमति
मुफ्ती बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय के भीतर भी आक्रोश देखने को मिल रहा है. विश्व मुस्लिम उलेमा संघ के उपाध्यक्ष अब्दुल हादी अवांग ने इस विधेयक की आलोचना की है. उन्होंने तर्क दिया कि मलेशिया को केवल एक इस्लामी विचारधारा तक सीमित रखना इस्लाम की व्यापक भावना के विपरीत है. उनका मानना है कि इस्लाम में विचारों के चार प्रमुख स्कूल हैं, जिनमें से मलेशिया केवल शफी स्कूल तक सीमित नहीं रह सकता.