बढ़ते कर्ज, घटते विदेशी मुद्रा भंडार, राजनीतिक अस्थिरता और जीडीपी में भारी गिरावट से जूझ रहे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है.  देश में रोजगार नहीं है. कुछ दिन पहले ही पुलिस भर्ती की सिर्फ 1,167 वैकेंसी के लिए लगभग 30 हजार छात्र परीक्षा देने पहुंचे थे, जिन्हें इस्लामाबाद के स्टेडियम में बैठाकर परीक्षा दिलाया गया था. 


पड़ोसी देश के विकराल हो रहे आर्थिक संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान अमेरिका का अपना दूतावास तक बेचने को तैयार है. 


पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि यहां लोगों को बेसिक सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं और अगर मिल भी रही हैं तो कीमत सामान्य से ज्यादा है. कुछ जगहों पर एक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 10 हजार रुपये के करीब है. नौबत यहां तक आ गई है कि पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान के कई मैरिज हॉल, बाजार और कुछ अन्य व्यवसाय को बंद करना पड़ा. 


सरकारी खजाने पर लगातार बढ़ रहे बोझ को हल्का करने और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने आनन-फानन में कई कदम भी उठाए हैं. 


बिगड़ते आर्थिक संकट के पीछे क्या है कारण 


विदेशी मुद्रा में भारी कमी: पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी हुई है. यहां के मुद्रा भंडार में 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई है. इस बीच, चीन ने भी पाकिस्तान में अपना निवेश कम कर दिया है, जिससे सहयोग भी कम हुआ है. देश की राजनीति भी लड़खड़ा रही है, जिसका असर देश की इकॉनोमी पर पड़ा है. 


ऊर्जा संकट से बढ़ी समस्या: पाकिस्तान सरकार के बिजली बचाने को लेकर कई कदम उठाए हैं. जिसमें से एक बाजारों को रात 8.30 बजे तक बंद करने का आदेश दे दिया है. वहीं मैरिज हॉल और मॉल्स को बंद करने की ये समय सीमा 10 बजे तक सीमित की गई है.


इसके अलावा इलेक्ट्रिक पंखों और बल्बों को प्रोडक्शन जुलाई 2023 तक बंद कर दिया गया है. इस योजना के तहत फरवरी और जुलाई से ऊर्जा-अकुशल बल्बों और पंखों के उत्पादन पर प्रतिबंध भी लगाया गया है. बिजली बचाने के लिए मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि सभी सरकारी मीटिंग दिन में की जाएगी. स्ट्रीट लाइटों को बंद कर दिया गया है. 


बढ़ रही गरीबी: पाकिस्तान में गरीबी लगातार बढ़ रही है. अंतरराष्ट्रीय गरीबी सूचकांक में पिछले साल के मुकाबले साल 2022 में गरीबी दर में 35.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. दुनिया के सबसे गरीब देशों की लिस्ट में पाकिस्तान 116 देशों में 92 स्थान पहुंच गया.


कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा वेतन: पाकिस्तान में कर्मचारियों को सही समय पर वेतन भी नहीं मिल पा रहे हैं. सबसे ज्यादा खराब हालत रेलवे सेक्टर की है. रेलवे रिटायर हुए कर्मचारियों को ग्रेच्युटी नहीं दे पाया है, जो करीब 25 अरब रुपये हैं. इतना ही नहीं सैलरी देने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं हैं. इन कर्मचारियों का वेतन और पेंशन भी समय से नहीं मिल पा रहा है. खाद्य मुद्रास्फीति साल-दर-साल 35.5 प्रतिशत बढ़ी है जबकि पाकिस्तान में दिसंबर में परिवहन की कीमतें 41.2 फीसदी बढ़ चुकी है. 


कैसा रहा पिछला साल 


साल 2022 पाकिस्तान के लिए अर्थव्यवस्था और व्यापार लिहाज के से सबसे खराब साल रहा है. 2022 के दौरान आर्थिक मंदी के प्रकोप का सामना करने वाले सेक्टरों में कपड़ा उद्योग और इससे जुड़े सेक्टर, कृषि, आयात सामग्री-आधारित उद्योग और ऑटोमोबाइल शामिल हैं, जिससे पाकिस्तान में बेरोजगारी और नौकरी हानि की बड़ी लहर चल रही है.


अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तान की मुद्रा कम से कम 49.31 रुपये गिर गई और ब्याज दर कम से कम 16 फीसदी तक पहुंच गई, जो 1998-1999 के बाद सबसे ज्यादा है.


महंगाई दर 30 से 40 फीसदी के आसपास है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) फिलहाल 25 फीसदी के आसपास है. इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष, वित्त वर्ष 2023 के पहले पांच महीनों के दौरान सेंसिटिव प्राइस इंडेक्स (एसपीआई) 28 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. कारोबारी समुदाय ने साल 2022 को पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला साल करार दिया है.