सऊदी अरब के रेगिस्तान के छोर पर लाल सागर के किनारे निओम नाम का एक नया शहर बसने वाला है. इस शहर में उड़ने वाली कारें होंगी, घरेलू काम करने के लिए रोबोट होंगे. अंधेरे में चमकते समुद्र तट और रेगिस्तान से भरे शहर में अरबों की तादाद में पेड़ होंगे.

 

सऊदी अरब ने एक कारों और कार्बन से मुक्त शहर की कल्पना की है. जो रेगिस्तान में एक सीधी रेखा में 170 किलोमीटर लंबा बसा है. इस प्रोजेक्ट को आने वाले कल का आदर्श शहर कहा जा रहा है. एक ऐसा शहर जहां धरती के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना मानवता आगे बढ़ेगी. नियोम फ्यूचरिस्टिक इको शहर होगा, जो सऊदी अरब के पर्यावरण लक्ष्य के हिसाब से बनाया जाएगा.

 

किस ईंधन पर है सऊदी अरब की नज़र?

 

निओम शहर सऊदी अरब के उस विजन 2030 का हिस्सा है, जिसमें उसकी अर्थव्यवस्था का दारोमदार तेल खनन से हटाने का फैसला किया है. यह 500 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट है. इस परियोजना का अनावरण सबसे पहली बार साल 2017 में किया गया था. अनावरण करते हुए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि देश के उत्तर-पश्चिम में 170 किलोमीटर पर बनाए जाने वाला शहर कारों और सड़कों से मुक्त होगा और यहां शून्य कार्बन उत्सर्जन होगा. 

 






इस प्रोजेक्ट के तहत 10 लाख लोगों को बसाने की योजना है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शहर के लिए और दुनियाभर में बेचने के लिए किस ईंधन का इस्तेमाल होगा? दरअसल सऊदी अरब एक दूसरे ईंधन के बारे में सोच रहा है वह ईंधन है ग्रीन हाइड्रोजन. यह कार्बन मुक्त ईंधन पानी से तैयार किया जाएगा. इसके लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों से तैयार बिजली की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अणुओं को अलग किया जाएगा. 

 

अमेरिकी कंपनी एयर प्रोडक्ट एंड केमिकल पिछले चार सालों से नियोम में एक ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट लगा रही है. यह प्लांट पवन ऊर्जा और सौर उर्जा से तैयार चार गीगावाट बिजली से चलेगा. दावा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना होगी. 








 

क्षेत्रफल कुवैत या इजरायल से भी बड़ा

 

निओम शहर का क्षेत्रफल 26,500 वर्ग किलोमीटर का होगा. बीबीसी की एक रिपोर्ट में निओम के डेवलपर अली शिहाबी ने दावा किया है कि इस शहर का क्षेत्रफल कुवैत या इजरायल से भी बड़ा होगा. निओम की वेबसाइट के अनुसार यह मेगा इलाका 2025 तक तैयार हो जाएगा. लेकिन इस बीच सवाल ये उठता है कि क्या इतना विशाल और अत्याधुनिक शहर बनाना संभव होगा, जो रेगिस्तान के बीच पर्यावरण पर दबाव बनाए बगैर टिका रहे.

 

इसके अलावा इस प्रोजेक्ट के अंदर 'ऑक्सागन' नाम का पानी पर तैरता एक शहर होगा. आठ भुजाओं की आकृति वाला यह शहर दुनिया का सबसे बड़ा तैरता हुआ स्ट्रक्चर होगा, जो किलोमीटर में फैला होगा.

 

निओम प्रोजेक्ट की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि इस विशाल परियोजना का पहला चरण 2025 तक पूरा हो जाएगा. हालांकि इसकी वेबसाइट कभी कभी विज्ञान की फंतासी कहानियों वाले किसी उपन्यास जैसी लगती है.

 

बीबीसी के अनुसार इस प्रोजेक्ट के डेवलपर अली शिहाबी ने कहा कि ऐसे शहर की कल्पना करना भले ही असंभव लगे, लेकिन 'द लाइन' को कई चरणों में बसाया जाएगा. दरअसल यह शहर 170 किमी लंबी सीधी रेखा में बसेगा, जिसका नाम 'द लाइन' होगा.



 

बार्सिलोना के "सुपरब्लॉक्स" की तरह का होगा शहर 

 

प्रोजेक्ट डेवलपर ने कहा, "लोग कहते हैं कि यह प्रोजेक्ट पागलपन है. इसकी लागत बहुत ज्यादा है, लेकिन इसे चरणबद्ध तरीके से बनाया जा रहा है." उन्होंने कहा कि ये शहर स्पेन में बार्सिलोना के ट्रैफिक-मुक्त "सुपरब्लॉक्स" की तरह का होगा. यहां दुकाने और स्कूल भी होंगी ताकी लोगों को जब जो चाहिये वो 5 मिनट की दूरी पर ही मिल जाए. 

 

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट को बनाने वाले का दावा है कि जब यह शहर पूरा बस जाएगा तब यहां के छोर से दूसरे छोर की यात्रा हाइपर स्पीड ट्रेनों के ज़रिए पूरी की जाएगी, जिसमें सबसे लंबी यात्रा करने पर भी 20 मिनट से ज्यादा नहीं लगेगा.

 

एक तरफ जहां  सऊदी अरब ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है वहीं दूसरी तरफ इस प्रोजेक्ट की आलोचना और समर्थन भी की जा रही है. आलोचक सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के इस प्रिय प्रोजेक्ट को ''ग्रीनवाशिंग'' कह रहे हैं.

 

उनका मानना है कि देश की इस प्रोजेक्ट का निर्माण देश की असली समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है. ये इकोलॉजिकल गीगा प्रोजेक्ट सऊदी अरब को और ज्यादा पर्यावरण अनुकूल बनाने के प्रिंस के विज़न के मुताबिक है.

 

वहीं दूसरी तरफ निओम प्रोजेक्ट के समर्थकों का कहना है कि देश की जरूरत है कि वह पवन और सौर ऊर्जा से चलने वाली स्मार्ट और सस्टेनेबल सिटी बनाए. 

 

निओम किनके लिए है?

 

इस शहर को लाल सागर तट और जॉर्डन की पहाड़ी सीमा के बीत बसाया जाएगा. यहां पहले से पारंपरिक हुतेत बेडुइन जनजाति के लोग रह रहे हैं. इस प्रोजेक्ट से एक फायदा ये होगा कि यहां नौकरियां पैदा होगी जिससे पिछड़े इलाकों का विकास होगा. लेकिन स्थानीय आबादी को अभी तक कोई फायदा नहीं दिखा है.

 

बीबीसी से बात करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए दो गांवों को खाली करा लिया गया वहां से 20 हजार हुतेत लोगों को हटा दिया गया है. उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है.

 

एक सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या रूढ़िवादी देश साउदी इस तरह की विकासशील देश बनाने के लिए तैयार है. दरअसल. जिस देश की महिलाएं आज भी अपने अधिकारों के लिए लड़ रहीं है वह देश अपने इस  विजन 2030 को पूरा करने में कामयाब हो पाएगा.
  



 

इमेज बदलने की कोशिश सऊदी अरब

 

दरअसल पिछले कुछ सालों में सऊदी अरब लगातार अपनी इमेज बदलने की कोशिश कर रहा है. सऊदी अरब में पिछले कुछ सालों में महिलाओं को लेकर कई ऐसे फैसले लिए गए हैं, जिनसे ये बात साबित होती है. कुछ दिनों पहले सऊदी अरब सरकार ने हज या उमरा करने वाली महिलाओं को बिना महरम यानी गार्जियन के हज पर आने की छूट का ऐलान कर दिया. सरकार ने कहा कि महिलाओं को सऊदी अरब में कोई भी खतरा नहीं है, इसी को देखते हुए ये फैसला लिया गया. 

 

बिना महरम (पुरुष गार्जियन) हज के अलावा सऊदी अरब ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई तरह के बड़े बदलाव किए हैं. प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को इस तरह के बड़े और बोल्ड फैसले लेने के लिए सराहा जा रहा है. ये युवा शहजादा अपने क्रांतिकारी फैसलों को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है. हम आपको सऊदी सरकार की तरफ से लिए गए कुछ ऐसे ही फैसलों के बारे में बता रहे हैं. 

 

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