नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरियाई शासक किम जोंग उन के बीच सिंगापुर में जो मुलाकात हुई, भारत ने उस मुलाकात का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय के एक बयान से साफ झलकता है कि भारत को इस मुलाकात से कोरियाई प्रायद्वीप में कभी खत्म ना होने वाली शांति के बहाल होने की उम्मीद है.


नई दिल्ली ने इस मुलाकात को एक सकारात्मक पहल बताया है. विदेश मंत्रालय ने एक बायन में कहा, "कोरियाई प्रायद्वीप (में शांति बहाल करने) से जुड़ा जो संकल्प लिया गया है उसे लेकर उम्मीद जताते हैं कि भारत के पड़ोस (पाकिस्तान) में परमाणु प्रसार पर भी ध्यान दिया जाएगा और इससे जुड़ी चिंताओं पर भी गौर किया जाएगा."


भारत पहले से कर रहा है संपर्क साधने की कोशिश
भारत और नॉर्थ कोरिया के बीच कभी कोई खींचतान नहीं रही. ट्रंप और किम की मुलाकात के पहले भारत ने मोदी सरकार के मंत्री वीके सिंह के साहरे नॉर्थ कोरिया से संपर्क साधा था. 1998 के बाद ये किसी भारतीय मंत्री का नॉर्थ कोरिया का पहला दौरा था. इस दौरे के बाद जारी किए गए बयान से साफ है कि नॉर्थ कोरिया का भारत को लेकर दोस्ताना रवैया है.


पाक का न्यूक्लियर प्रोग्राम हो सकता है कमज़ोर
हां, ऐसा ज़रूर हुआ है कि भारत ने एक दौर में नॉर्थ कोरिया पर पाकिस्तान को न्यूक्लियर टेक्नॉलजी देने के आरोप लगाए थे. वहीं, इस देश के खिलाफ भारत ने यून में भी वोट भी किया था. ट्रंप-किम मुलाकात के बाद भारत को ये उम्मीद है कि ये उस चैनल का भी पर्दाफाश करेगा जिसके तहत नॉर्थ कोरिया और चीन से मिलने वाली मदद से पाकिस्तान के न्यूक्लियर मिसाइल रेस को ताकत मिलती है.


भारत ने कई मायनों में की है नॉर्थ कोरिया की मदद
भारत की नीति में ये साफ है कि एक देश के तौर पर ये किसी और देश के न्यूक्यिर ताकत बनने के खिलाफ है. ऐसे में नॉर्थ कोरिया के परमाणु अप्रसार के लिए राज़ी होना भारत के लिए बड़ी राहत की बात है. वहीं, भारत ने नॉर्थ कोरिया की कई बार मदद भी की है. भारत ने नॉर्थ कोरिया के मिलिट्री अधिकारियों से लेकर उनके टेक्नॉलजी से जुड़े लोगों को ट्रेन करने और अपने संस्थानों में उनके राजनयिकों को ट्रेनिंग देने तक का काम किया है.


भारत, नॉर्थ कोरिया का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है
एक तरफ भारत ने जब-जब ज़रूरत पड़ी तब-तब अनाज भेजकर कोरिया की मदद की, वहीं दूसरी तरफ 2004 में आई सूनामी के दौरान नॉर्थ कोरिया ने भारत की आर्थिक सहायता की थी. जब तक नॉर्थ कोरिया पर पाबंदी नहीं लगी थी तब तक भारत इस देश का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. अगर इस देश पर से पाबंदी हटती है तो दोनों देशों के बीच फिर से व्यापार सामान्य होने की पूरी उम्मीद है जो भारत के लिए फायदे का सौदा हो सकता है.


चीन से कमज़ोर हुए रिश्ते तो भारत को होगा फायदा
सबसे बड़ी बात ये है कि अगर नॉर्थ कोरिया के रिश्ते अमेरिका के साथ सामान्य होते हैं तो इसका असर चीन और नॉर्थ कोरिया के रिश्तों पर पड़ेगा. अगर नॉर्थ कोरिया और चीन के रिश्ते कमज़ोर होंगे तो इसका पूरा फायदा भारत को मिल सकता है.


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