(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इस देश में लोग जानबूझकर कोरोना से हो रहे संक्रमित, जानिए इसके पीछे की असली वजह
ब्रिटेन में शुरू होने जा रहा कोविड-19 मानव चैलेंज ट्रायल दुनिया का पहला है. ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर्स को जानबूझकर कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा. आम तौर से किसी भी दवा या वैक्सीन का मानव परीक्षण बिल्कुल जुदा होता है.
Covid-19 Human Challenge Trial: ब्रिटेन दुनिया का पहला मानव चैंलेज ट्रायल शुरू करने जा रहा है. परीक्षण के दौरान स्वस्थ वॉलेटिंयर को जानबूझकर कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा. इम्पीरियल कॉलेज लंदन, रॉयल फ्री लंदन एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट और क्लीनिकल कंपनी hVIVO संयुक्त रूप से परीक्षण का हिस्सा बनेंगे. इस तरह के परीक्षण का विचार 2020 के आखिरी तिमाही में सामने आया था. सरकारी निवेश से मानव चैलेंज ट्रायल का समर्थन किया गया है.
ब्रिटेन शुरू करने जा रहा दुनिया का पहला मानव चैलेंज ट्रायल
अगले कुछ हफ्तों में शुरू होने जा रहे मानव चैलेंज परीक्षण को नैतिक स्वीकृति मिल चुकी है. परीक्षण के वॉलेंटियर का चुनाव बहुत ही सावधानीपूर्क किया जाएगा. वैज्ञानिकों को 18-30 साल के स्वस्थ 90 वॉलेंटियर की तलाश है. वॉलेंटियर को सुरक्षित और नियंत्रित तापमान में कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाएगा. शुरू में वैज्ञानिक उन्हें कोविड-19 बीमारी के लिए जरूरी वायरस की कम मात्रा से संक्रमित करेंगे. इसके लिए ब्रिटेन में 2020 के मार्च से चर्चित मूल कोरोना वायरस का स्ट्रेन इस्तेमाल किया जाएगा. वैज्ञानिक नए वायरस के वैरिएन्ट्स का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं क्योंकि स्ट्रेन में आए बदलाव की सीमित जानकारी है.
ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर्स कोरोना वायरस का बनेंगे शिकार
आम तौर से मानव परीक्षण में वॉलेंटियर को एक प्रायोगिक वैक्सीन या दवा दी जाती है और फिर कई महीनों तक मॉनिटरिंग की जाती है. इस दौरान ये पता लगाया जाता है कि संक्रमण के खिलाफ सुरक्षा मिली या नहीं. मगर दुनिया में ये पहली बार है जब वैज्ञानिक पहले कोरोना वायरस से वॉलेंटियर को संक्रमित कर मानव परीक्षण करने जा रहे हैं. इस परीक्षण का उद्देश्य कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर के इम्यून रिस्पॉन्स और वायरल ट्रांसमिशन के पीछे तंत्र को समझना है.
अगले चरण में शोधकर्ताओं का मंसूबा वॉलेंटियर की छोटी संख्या को स्वीकृत वैक्सीन देने का है और फिर नए वैरिएन्ट्स से संक्रमित करने का है. इससे वैज्ञानिकों को सबसे प्रभावी वैक्सीन की पहचान और विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. हालांकि, मानव परीक्षण के इस चरण को हरी झंडी अभी नहीं मिली है.
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