नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज निधन हो गया. 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में शाम 5.05 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहने के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की हैं. विदेश नीति के तौर पर पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने प्रसिद्ध दिल्ली-लाहौर बस सेवा शुरू की थी. वाजपेयी ने 19 फरवरी 1999 को पाकिस्तान के लिए बस में भी यात्रा की थी.



लेखक किंशुक नाग ने अपनी किताब - अटल बिहारी वाजपेयी: अ मैन फॉर ऑल सीजन में दोनों देशों के आपसी संबंधों पर का जिक्र किया है. पाकिस्तान में अटल विहारी वाजपेयी के समकक्ष नवाज शरीफ का भी संबंधों मानना ​​था कि दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए. शरीफ ने पाकिस्तान आने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को निमंत्रण भेजा था. पाकिस्तान भी नई बीजेपी सरकार की कमिटमेंट का टेस्ट करना चाहता था. अटल बिहारी वाजपेयी ने नवाज के निमंत्रण का सम्मान करते हुए 19 फरवरी 1999 की दोपहर में बस द्वारा पंजाब के अटारी-वाघा सीमा को पार किया. उनके साथ गए 20 प्रतिष्ठित लोगों में वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नायर, मल्लिका साराभाई जैसे सांस्कृतिक व्यक्तित्व और देव आनंद, जावेद अख्तर जैसे फिल्मी शख्सियतें भी शामिल थी. पूर्व प्रधानमंत्री की तरफ से शुरू की गई यह बस यात्रा दिल्ली से लाहौर जाने के लिए रोजाना की बस सेवा बन गई.


अटल और शरीफ के बीच की बातचीत को लाहौर घोषणा करार दिया गया. जिसमें दोनों देशों ने द्विपक्षीय विवादों- विशेष रूप से कश्मीर का मुद्दा, साथ ही अनुकूल वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए शांतिपूर्ण समाधान के प्रति दोनों के देशों ने वचनबद्धता दी गई. यात्रा के दौरान वाजपेयी ने मिनार-ए-पाकिस्तान का भी दौरा किया जो 1947 में नए देश के जन्म लेने के रूप में स्मारक स्थापित किया गया है.



पड़ोसी देश पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए एक स्वागत समारोह भी रखा गया था. वाजपेयी ने वहां अपनी कविता 'अब जंग ना होने हम' सुनाई. लाहौर किले में अटल को सम्मानित भी किया गया. जहां दोनों देशों की आम विरासत पर खासा ध्यान रख गया था. इस किले की खासियत यह थी कि यहां हिन्दुस्तान और मुगल राज के शहंशाह शाहजहां कि पैदाइश है और बादशाह अकबर ने इस जहग पर करीब एक दशक तक वक्त बिताया था. इतना ही नहीं इस दौरे पर अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान की जनता में भी अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे. वाजपेयी के भाषण से पाकिस्तान की आवाम इतनी प्रभावित हुई कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पूर्व प्रधानमंत्री को छेड़ते हुए कहा, ''वाजपेयी साहब अब तो आप पाकिस्तान में भी चुनाव जीते सकते हैं.''