Afghanistan News: अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद देश में तालिबान की नई सरकार का एलान हो गया है. तालिबान ने हिबतुल्लाह अखुंदजादा को अपना सुप्रीम लीडर चुना है. लेकिन सवाल यह है कि हिबतुल्लाह अखुंदजादा आखिर कहां है. तालिबान बार बार ये दावा कर रहा है कि अखुंदजादा जल्द ही सामने आना वाला है, लेकिन सरकार का ऐलान होने के बाद भी उसके नाम से तालिबान ने सिर्फ एक लिखित संदेश जारी किया है. अखुंदजादा की इस मिस्ट्री के पीछे क्या है और क्या है इसका ISI कनेक्शन जानने के लिए पढ़िए हमारी ये रिपोर्ट.
कब क्या हुआ?
- 29 फरवरी 2020- दोहा में अमेरिका और तालिबान का समझौता हुआ.
- 15 अगस्त 2021- काबुल पर तालिबान का कब्जा हुआ.
- 30 अगस्त 2021- अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ दिया.
- 07 सितंबर 2021- तालिबान सरकार का ऐलान हुआ.
20 साल की जंग और 18 महीने की डिप्लोमेसी के बाद तालिबान अफगानिस्तान का किंग बन गया, लेकिन तालिबान के किंग को अब तक किसी ने नहीं देखा. तालिबान सरकार का ऐलान होने के बाद भी उनका सुप्रीम कमांडर मुल्ला हिब्तुल्लाब अखुंदजादा अब भी पर्दे के पीछे ही है. तालिबान ने जिस मकसद के लिए 20 साल जंग लड़ी, वो हासिल होने के बाद भी उसका सुप्रीम लीडर सामने नहीं आया, आया है तो चार पन्नों का सिर्फ एक लिखित संदेश.
हैरानी की बात ये है कि तालिबान की ओर से पहली बार आए उसके सुप्रीम लीडर के संदेश में न तो कहीं अखुंदजादा के दस्तखत हैं और न ही कहीं कोई मुहर लगी है. बस आखिर में उसका नाम जरूर टाइप किया हुआ है. हिबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबान का सुप्रीम लीडर है. अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद भी उसका सामने न आना कई सवाल खड़े कर रहा है. ये सवाल इसलिए और भी गंभीर हो जाते हैं, क्योंकि अखुंदजादा के बारे में तालिबान प्रवक्ताओं से कई बार पहले भी सवाल हो चुके हैं और हर बार उनका जवाब यही होता है कि वो जल्द ही सामने आने वाले है. तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि हेबतुल्लाह अखुंदजादा कंधार में हैं और वो शुरु से कंधार में ही रह रहे हैं. बहुत जल्द वो आप सबके सामने भी आएंगे.
काबुल की जीत के बाद से तालिबान कई बार अखुंदजादा के बारे में ऐसे दावे और वादे कर चुका है. लेकिन सरकार के ऐलान के वक्त और उसके बाद भी उसका सामने न आना, उन कयासों को मजबूत कर देता है. जो अब तक अखुंदजादा के बारे में किए जा रहे थे. वैसे तो तालिबान में अपने सुप्रीम लीडर को मिस्ट्री बनाकर रखने की परंपरा पुरानी है. लेकिन वो जंग का दौर था, अब तालिबान की सरकार बनने और उनके नेताओं के दावों के बाद भी अगर वो सामने नहीं आ रहा है, तो साफ है कि पर्दे के पीछे कोई बड़ा खेल जारी है और इसे लेकर कई थ्योरी सामने आ रही है.
अखुंदजादा को लेकर हैं ये चर्चाएं
- अखुंदजादा के ISI के कब्जे में होने की आशंका.
- ISI के सेफ हाउस में होने की चर्चा.
- आखिरी बार पेशावर में देखा गया था.
- पाकिस्तान सेना के अस्पताल में भर्ती होने की चर्चा.
- कोविड से गंभीर रूप से बीमार होने की चर्चा.
क्या आईएसआई के इशारों पर नाच रहा है अखुंदजादा?
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अखुंदजादा की कोरोना से मौत की भी खबरें सामने आई थी, लेकिन तालिबान से उसे बेबुनियाद करार दिया था. फिर ईद के मौके पर उसका लिखित संदेश भी जारी हुआ था, लेकिन अखुंदजादा फिर भी सामने नहीं आया था. अब सरकार बनने पर भी उसके गायब होने से इन कयासों को मजबूती मिल रही है कि वो ISI के ही कब्जे में हैं.
अखुंदजादा के लापता होने पर सवाल तो काफी दिनों से उठ रहे हैं और इस लेकर अलग अलग कारणों की चर्चा हो रही थी, लेकिन अब तालिबान की कैबिनेट की लिस्ट सामने आने पर सारी सुईयां ISI की ओर मुड गई हैं. तालिबान की सरकार के ऐलान के दौरान भी अखुंदजादा का सामने न आना, क्या ये संकेत देता है कि वो आईएसआई के कब्जे में है या आईएसआई के इशारों पर ही नाच रहा है? दोहा समझौते और काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान ने नई सरकार को लेकर वादे तो बड़े बड़े किए थे, लेकिन तालिबान सरकार की लिस्ट आई तो ये साफ हो गया कि चेहरे तालिबान के हैं और चुनाव पाकिस्तान का है.