Military Exercise: थाईलैंड में हर साल आयोजित होने वाला कोबरा गोल्ड सैन्य अभ्यास अमेरिकी मैरीन सैनिकों के लिए सबसे मुश्किल ट्रेनिंग में से एक माना जाता है. इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सैनिकों को जंगली परिस्थितियों में जीवित रहने के कौशल सिखाना है. इसमें उन्हें कीड़े, बिच्छू, छिपकलियां, और सांप जैसे जीव जिंदा खाने पड़ते हैं.
यह अभ्यास सैनिकों को उन परिस्थितियों के लिए तैयार करता है जहां जंगल में फंसने पर उनके पास खाने-पीने का कोई ऑप्शन नहीं हो. उन्हें सिखाया जाता है कि कैसे सांप और बिच्छू की पहचान करें और उन्हें खाकर अपनी जान बचाएं. यह प्रक्रिया बेहद चुनौतीपूर्ण और डरावनी मानी जाती है.
पानी की जगह पर सांप का खून पीते हैं सैनिक
अभ्यास के दौरान पानी न होने की स्थिति में सैनिकों को कोबरा सांप का खून पीने की ट्रेनिंग दी जाती थी. यह न केवल उनकी प्यास बुझाने का तरीका था बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक साहस की परीक्षा भी. हालांकि इस प्रक्रिया को लेकर कई सैनिक असहज महसूस करते थे.
PETA की आपत्ति के बाद नया बदलाव
पिछले कुछ वर्षों में पशु अधिकार संगठन PETA और अन्य समूहों ने इस अभ्यास का विरोध किया. उन्होंने इसे अमानवीय बताते हुए इसे रोकने के लिए अभियान चलाया. इसके परिणामस्वरूप अब कोबरा गोल्ड अभ्यास में सांप का खून पीने की प्रथा समाप्त कर दी गई है.
कैसा होता है सांप के खून का स्वाद
जिन सैनिकों ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया उनका कहना था कि सांप के खून का स्वाद हल्का मीठा होता है. हालांकि कई सैनिक इसे पीने से हिचकते थे और इसे अपने जीवन का सबसे कठिन अनुभव बताते थे.
कोबरा गोल्ड अभ्यास का नया स्वरूप
अब यह अभ्यास ज्यादा आधुनिक और मानवीय तरीकों पर आधारित हो गया है. इसमें तकनीकी और रणनीतिक कौशल को बढ़ावा दिया जाता है ताकि सैनिक बिना किसी जीव को नुकसान पहुंचाए भी कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकें.
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