Nepal Elections 2022: पड़ोसी देश नेपाल में आम चुनाव की तारीख नजदीक आ गई है. नेपाल में चुनाव को लेकर सियासी हलचल जारी है. इस बार यहां मुख्य चुनावी मुद्दा राजनीतिक अस्थिरता का माना जा रहा है. दरअसल, राजनेताओं की ओर से राजनीतिक स्थिरता कायम किए जाने का वादा किया जा रहा है. एक ही चरण में देशभर में 20 नवंबर को संसद और प्रदेश सभा के लिए वोट डाले जाएंगे. इन चुनावों में भाग लेने के लिए 84 दलों ने निर्वाचन आयोग के पास अपनी अर्जी दी है. उल्लेखनीय है कि नेपाल के निर्वाचन आयोग में रजिस्टर्ड पार्टियों की संख्या 116 है.
नेपाल के चुनाव कानून के मुताबिक, निर्वाचन आयोग में रजिस्टर्ड पार्टियों को चुनाव से ठीक पहले उसमें शामिल होने के लिए अर्जी देनी पड़ती है. हालांकि, इनमें से कई पार्टियां चुनाव नहीं लड़ती हैं. चुनाव में भाग लेने के लिए दलों की तरफ से आए आवेदनों की जांच करने के बाद पार्टियों की लिस्ट जारी की जाती है. इसके बाद वे अपने उम्मीदवार उतार सकती है. इससे पहले यहां हुए स्थानीय चुनाव में कुल 79 दलों ने अर्जियां दी थीं लेकिन 65 पार्टियों ने चुनाव लड़ा था.
किस चुनाव चिन्ह पर लड़ रहे कौन से नेता
पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) और पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टराई के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी ने समान चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए अर्जी दी है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के पूर्व नेता बामदेव गौतम ने भी माओइस्ट सेंटर पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
नेपाल की मुख्य राजनीतिक पार्टियां
नेपाल में नेकपा माओवादी और जनता समाजवादी पार्टी जहां एक साथ चुनाव में भाग ले रही हैं तो वहीं नेपाली कांग्रेस और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी एक साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतरी हैं. इसके अलावा नेपाली कांग्रेस अभी हाल ही में नेपाल की सत्ता पर काबिज हुई थी. नेपाल में इस बार पूरी तरह से गठबंधन का खेल जारी है. नेकपा माओवादी और नेकपा एमाले ने एक साथ आकर माओवादी गुट को कमजोर कर दिया है.
मधेस प्रांत में यूएमएल को राहत
आम चुनाव में यूएमएल का मुख्य मुकाबला सत्ताधारी गठबंधन से होगा. सत्ताधारी गठबंधन में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय जनमोर्चा शामिल हैं. वहीं, जनता समाजवादी पार्टी का मधेस प्रांत में अच्छा प्रभाव है. इसलिए यहां यूएमएल को राहत मिली है. हालांकि, बाकी जगहों पर चुनौतियां पहले जितनी ही गंभीर होंगी.
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