इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध शुक्रवार (3 नवंबर) को 27वें दिन में प्रवेश कर चुका है. दिन पर दिन यह जंग और आक्रामक होती जा रही है. अब इस जंग में नए संगठन भी जुड़ने लगे हैं. हेजबुल्लाह और हमास के बाद हूती संगठन भी इसमें कूद गया है. तीनों संगठनों ने एक मात्र यहूदी देश इजरायल को निशाना बनाया हुआ है. 22,000 किमी दूर से यमन की धरती से इजरायल पर मिसाइलें दागी गईं. मंगलवार (31 अक्टूबर) को हूती ने दावा किया कि उसने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन से हमले किए हैं. 


हूती के प्रवक्ता याह्या सारी का कहना है कि संगठन फलस्तीनियों की मदद कर रहा है और जब तक इजरायल नहीं रुकेगा तब तक वह इसी तरह उसे निशाना बनाता रहेगा. जंग शुरू होने के बाद से यह हूती का इजरायल पर तीसरा हमला था. आखिर इस जंग में हूती क्यों इजरायल पर गोले बरसा रहा है, ये जानने से पहले आइए जानते हैं कि ये हूती हैं कौन और इनका इतिहास क्या है-


कौन हैं हूती?
हूती संगठन की जड़ें यमन में मिलती हैं, जो खुद को आधिकारिक तौर पर अंसर अल्हा यानी अल्लाह के समर्थक बताते हैं. ऐसा कहा जाता है कि हमास और हेजबुल्लाह की तरह हूती भी ईरान की शह पर काम करते हैं. इन्हें ईरान सपोर्ट करता है. हूतियों की ज्यादातर आबादी यमन के उत्तरी-पश्चिमी सादा प्रांत में रहती है. यमन की राजधानी सना और पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिमी इलाकों पर इनका नियंत्रण है. साल 2014 से यमन में जारी गृहयुद्ध में हूती संगठन सक्रिय है. साल 1990 में यमन के राष्ट्रपति रहे अली अब्दुल्लाह सालेह की तानाशाही को खत्म करने के लिए हूती संगठन बनाया गया था और आज भी ये अतंरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सुन्नी नेतृत्व वाली यमनी सरकार के खिलाफ हैं. सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात यमन सरकार का समर्थन करते हैं. हूती सऊदी अरब को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं.


हूती आंदोलन का इतिहास?
एक बाप-बेटे ने मिलकर यह संगठन बनाया था. पिता एक प्रभावशाली मौलवी थे, जिनका नाम बद्र अल दीन अल हूती था. उन्होंने अपने बेटे हुसैन हूती के साथ मिलकर साल 1990 में यह संगठन बनाया. हूती जायदी शिया संप्रदाय से जुड़ा एक बड़ा कबीला है और संगठन शुरू करने से पहले बाप-बेटे ने जायदियों के साथ सामाजिक एवं धार्मिक रिश्ते बनाना शुरू किया. ये यमन के शासक की नीतियों और तानाशाही से खफा थे, जिसके विरोध में यह संगठन तैयार किया गया. संगठन के बद्र अल दीन अल हूती और हुसैन हूती साल 1979 में ईरानी क्रांति और दक्षिण लेबनान में हेजबुल्ला के उदय से काफी प्रभावित थे. नेक इरादों से शुरू किए गए हूती आंदोलन का सरकार के खिलाफ विद्रोह इस कद्र बढ़ा कि यमन में गृह युद्ध छिड़ गया. 


कब से एक्टिव हैं हूती
साल 2004 में यमन की सरकार ने बद्र अल दीन अल हूती के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था, जिसके बाद हूती लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्सा बैठ गया. इस बीच सरकार ने हूतियों के खिलाफ सादा में बड़ा आंदोलन छेड़ दिया, जिसमें संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक हुसैन हूती की मौत हो गई. इस तरह सरकार के खिलाफ उनका विद्रोह बढ़ने लगा और वह धीरे-धीरे मजबूत होते गए. साल 2010 में इन्होंने सादा पर नियंत्रण कायम कर लिया.


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