लंदन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की शीर्ष वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने गुरुवार को कहा कि संगठन इस साल के आखिर से पहले कोरोना वायरस का टीका उपलब्ध होने को लेकर आशावादी है. कोरोना वायरस के इलाज की दवा को लेकर चल रहे चिकित्सकीय परीक्षणों के मद्देनजर जिनेवा से आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान स्वामीनाथन ने कहा कि यह साबित हो गया है कि मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हुए लोगों की मौत रोकने में कारगर नहीं है.
भविष्य में इस घातक वायरस से बचाने वाले टीके के संदर्भ में उन्होंने कहा कि लगभग 10 उम्मीदवार मानव परीक्षण के चरण में हैं और इनमें से कम से कम तीन उम्मीदवार उस नए चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां एक टीके का प्रभाव साबित होता है.
कारगर टीके को लेकर डब्ल्यूएचओ के प्रयास का उल्लेख करते हुए स्वामीनाथन ने कहा, "मुझे उम्मीद है. मैं आशान्वित हूं, लेकिन टीका विकसित करना एक बेहद जटील प्रक्रिया है और इसमें बहुत अधिक अनिश्चित्ता भी है. अच्छी बात यह है कि हमारे पास कई अलग-अलग उम्मीदवार और प्लेटफॉर्म हैं."
उन्होंने कहा, "अगर हम भाग्यशाली हैं, तो इस साल के अंत तक एक या दो कामयाब उम्मीदवार होंगे." बहरहाल, डॉ सौम्या स्वामीनाथन का यह भी कहना है कि लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से रोकने में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की भूमिका हो सकती है. इस संबंध में क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि संक्रमण के शुरू में कोरोना वायरस महामारी की प्रचंडता रोकने या कम करने में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की भूमिका है या नहीं. उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से किए जा रहे अन्य परीक्षणों का संदर्भ देते हुए कहा, "हम अब तक यह नहीं जानते. इसलिए बड़े पैमाने पर परीक्षण पूरे होने और आंकड़े हासिल करने की जरूरत है."
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